आतंकवाद

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चल रही हैं गोलियाँ,
हो रहा है धमाका,
लहराने लगा हर तरफ,
आतंक का पताका ।

इनका न कोई माई बाप,
न भाई न काका,
ये जिन्दा रोबोट हैं,
रिमोट चलाये आका।

कहाँ करते हैं चोरी ये,
कहाँ डालते हैं डाका,
देता कौन रूपया इन्हें,
मिलता कहाँ से टाका?

रो रहा है कश्मीर,
बिलख रहा है ढाका
जाने कहाँ तक फ़ैल गया,
इन लोगों का इलाका?

#अनूप अग्रवाल (आग)

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