मैं एक किताब हूँ

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मैं एक किताब हूँ,
किसी लेखक का ख्वाब हूँ
किसी के लिए सवाल हूँ
किसी के सवालों का जवाब हूँ।

मेरे अंदर,  है एक समंदर
एक अलग संसार है
ज्ञान के मोती, ज्ञान की ज्योति
ज्ञान का भण्डार है।
किसी गरीब  की पीड़ा है
किसी प्रेमी का प्यार है।

कभी कोई आएगा साथ मुझे ले जायेगा
हो सकता है मुझमे वो अपने आप को पायेगा
जगा दूंगी मैं उसका जमीर
हुए जो पाप पहले यहाँ, वो नहीं दोहराएगा।

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