मैं हिंदी हूँ
मुझे बचालो
वेंटिलेटर पे जिंदी हूँमेरी अहमियत बस इतनी ही
जैसे माथे की बिंदी हूँअगर मैं मर गयी
तो तुम भी अपनी पहचान खो दोगे
जागो ऐ हिन्दुस्तानियों
वरना तुम हिंदुस्तान खो दोगे।अभी कोमा में हूँ
जल्द ही पूर्णविराम लग जायेगा।
तुम सब पर ही
मेरी मौत का इलज़ाम लग जायेगा।फिर मैं पुस्तकालयों में नहीं
संग्रहालयों में पाई जाऊँगी
जो एक बार मैं चली गयी
तो लौट के न आ पाऊँगी।https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1173322672728945&id=957798527614695