प्रलयकाल में वेदों को, मत्स्य बन कर बचाया,
कच्छप बन कर सागर मंथन संपूर्ण कराया|
उसी प्रभु ने, जब सुनी, धरती की कराह,
हिराणक्श का वध किया, बन कर के वराह|
फैला जब धरती पर, हिरण्यकश्यप का अत्याचार,
प्रहलाद को बचाने, लिया नरसिंह अवतार|
बन कर वामन, किया बलि का उद्धार,
परशुराम बन, किया क्षत्रियों का संहार|
फिर प्रभु आए धरती पर, बन कर राजा राम,
जितना छोटा नाम, उतने ही बड़े हैं काम|
द्वापर में कृष्ण बन कर आए, फिर से भगवान,
दिया जिन्होने इस जगत को, गीता का ग़ूढ ज्ञान|
नयी चिंतन से की लोगों की बुद्धि शुद्ध,
बोध गया में गौतम, बने भगवान बुद्ध|
आज को जियो शांति से, छोड़ो चिंता कल की,
कर रहे हैं प्रतीक्षा सभी, कब आएँगे कलकी|#अनूप अग्रवाल