बारिश

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लगता है ये बारिश, तेरे शहर से हो कर आई है।
लगता है ये बारिश, तेरे शहर से हो कर आई है।

तेरे अश्को का स्वाद है इसमें,
लगता है तेरे, जख्मों को धोकर आई है।
लगता है ये बारिश, तुझे भिगो कर आई है।

तेरे बदन की खुशबु है इसमें,
लगता है संग तेरे,  रात ये सो कर आई है।
लगता है ये बारिश, तेरे बिस्तर से हो कर आई है।

थकी थकी सी लगती है ये,
लगता है तेरा, दर्द ढो कर लायी है।
लगता है ये बारिश, तेरे घर से हो कर आई है।

सूजी सूजी हैं इसकी ऑंखें,
लगता है ये तेरे, साथ में रो कर आई है।
लगता है ये बारिश, तेरे शहर से हो कर आई है।

लगता है ये बारिश, तेरे शहर से हो कर आई है।
लगता है ये बारिश, तेरे शहर से हो कर आई है।

#अनूप अग्रवाल

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