Chapter 23 - Chandra (part 3)

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हैलो दोस्तों, बिल्कुल नया और रोमांचक भाग प्रकाशित किया जा चुका है। और मुझे उम्मीद है कि आपको आज का भाग पसंद आएगा। मैंने दिल लगाकर और नींद को भुलाकर 😉😄 इस चैप्टर को लिखा है। लेकिन फिर भी अगर कोई कमी हो तो प्लीज़ संभाल लेना। और अपने कमाल के एक्स्पीरियंस इस चैप्टर के कॉमेंट बॉक्स में ज़रूर×2 साझा करिएगा।
साथ ही मैं छुपेरुस्तम पाठक को भी धन्यवाद करती हूं जो बिना भूले मेरी कहानी पढ़ रहे है। लेकिन अगर आप यूंही सिर्फ़ छुपेरुस्तम बने रहे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए प्लीज़ इस कहानी को अच्छी रेटिंग दे और अपनी खुशी तथा अनुभव ज़ाहिर करे। इस असंभव सी यात्रा का हिस्सा बने। एक लेखक काफ़ी मेहनत और लगन के साथ कोई कहानी लिखता है। और आपको उसकी कहानी पसंद आती है फिर भी अगर आप उसके साथ अपनी खुशी साझा नहीं करेंगे तो ये कितनी दुख की बात होगी। मेरे लिए आपके वोट और कॉमेंट कीमती रहेंगे। इसलिए अपनी खुशी साझा करना बिलकुल न भूले।
आपकी, बि. तळेकर ♥️
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कहानी अब तक: उस शैतान राजकुमारी की भयानक हरी आंखें पलक को घूर रही थी। और मेरा ध्यान उस ओर जाते ही उसके होठों पर अभिमान भरी मुस्कान फैल गई। पलक के लिए मुझे बेबस देखकर उसकी मुस्कान और गहरी हो गई।

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अब आगे।

लेकिन वो गलत थी। मैं बेबस नहीं था। पलक के कारण मैं कभी कमज़ोर नहीं पड़ सकता था। क्योंकि वो इस बात से बेखबर थी कि पलक मेरी कमज़ोरी नहीं बल्कि मेरी ताक़त थी।
तब उस शैतान राजकुमारी नैनावती को देखते ही किसी अनहोनी के आभास से मेरी बाहें पलक की सुरक्षा में उसके चारों तरफ़ और कस गई। और मैंने उसे अपने सीने में छिपा लिया।
गुस्से और आक्रोश में नैनावती की ओर घूरते हुए, "क्या किया है तुमने पलक के साथ?!" मैं इसका जवाब मांगने से ख़ुद को नहीं रोक पाया।
घमड़ के साथ कहते हुए, "बस इतने में ही डर गए!? तब क्या होगा जब तुम्हारी इस बेचारी पलक की एक-एक उंगलियां, उसके शरीर का हर एक अंग मुड़ेगा। शरीर की हर एक नसे खींचेगी। उसके नाज़ुक से बदन की एक-एक हड्डियां चटकेंगी। टूटेंगी । और आख़िर में..." उस राजकुमारी की घिनौनी हंसी गूंज उठी। "तुम्हें क्या लगा लड़के, अपनी इन मामूली शक्तियों से तुम हमारा सामना कर सकते हो!? नहीं, हरगिज़ नहीं।" और राजकुमारी के शैतानी साए ने अपना असली रूप उजागर किया।
इसके अगले ही पल नैनावती के भयानक चेहरे पर भद्दी सी मुस्कुराहट उभर आई और उसने अपना वहीं डरावना रूप धारण कर लिया। उसके चेहरे और शरीर पर वहीं डरावने बदलाव प्रगट हो गए। उसकी छल-कपट से भरी चमचमाती हरी आंखे तेज़ाब सी जल उठी।
अपनी बात जारी रखते हुए, "हम अब तक अट्ठानवे इंसानों की बलि चढ़ा चुके हैं। और ये लड़की... हमारा निन्यानवा शिकार है। जिसे तुम कभी बचा नहीं पाओगे।" उसने अपनी घिनौने कर्तूतों पर गुरूर करते हुए कहा।
मेरा अंदेशा बिल्कुल सही था। नैनावती की नज़रे पलक पर थी। और उसकी बातों से ये साफ़ ज़ाहिर था कि वो पलक को मारना चाहती थी। इतना ही नहीं बल्कि वो अपने किसी ख़ास मक़सद के लिए उसकी बलि चढ़ाना चाहती थी!
अपने मक़सद की सफलता का फिज़ूल जश्न मनाते हुए, "अब हमारे और हमारे मक़सद के बीच केवल ये लड़की बची है।" उस काले साए ने कहते ही "केवल सो ज़िंदगीयों की बलि पुरी होते ही 'हम' यानी 'महान राजकुमारी नैनावती' फिर एक बार इस दुनियां में लौट आएंगी। इस धरती पर हमारा साम्राज्य स्थापित होगा। और तब... हमें रोकनेवाला कोई नहीं होगा। ना तुम्हारी ये पलक, ना तुम और... नाहीं मेरे पिता।" उसकी नफ़रत भरी आंखें हम दोनों पर टिक गई।

Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndiaजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें