मेरे साथ जो हुआ उसके बाद मैं इन छोटी-छोटी खुशियोँ की किमत अच्छी तरह से जानती थी । मैं हमेशा से कोशिश करती कि, 'मेरी वजह से कभी भी किसीको कोई तकलीफ़ ना हो ।' मगर.. उस हादसे के बाद मैं इस बात को और भी ज़्यादा गंभीरता से लेने लगी थी । इसलिए अब मैं पूरी कोशिश करूँगी के ये जोब मुझे मिल जाए ।
होटल के बाद सलोनी मुझे अपने साथ उस जगह पर ले गई, जहाँ वो अपने दोस्तों के साथ रहती थी ।
वो जगह बहोत ही साफ-सुथरी और खुली-खुली थी । वहाँ सड़क के दोनों तरफ़ लंबी कतार में घर बनें हुए थे, जो ज़्यादातर दो या तीन मंज़िलोंवाले थे । और सलोनी जिस घर में रहती थी वो भी दो मंज़िला था । उस घर की दीवारें पीले और सफेद रंगों में रंगी थी । और उस घर के सामने, डाई तरफ़ हल्के नीले रंग की लकड़ी की सिढ़िया बनी हुई थी ।
"ये देखो, पलक । मैं यहाँ रहती हूँ । चलों मैं तुम्हें अपना रूम दिखाती हूँ ।" सलोनी ने ऊपरवाले कमरे की तरफ़ इशारा करते हुए मुस्कुराकर कहा ।
उसके बाद हम दोनों वहां बनी सिढ़ियों से होते हुए ऊपर कमरे तक पहुंचें । वहां ऊपर सिढ़ियों से कुछ कदमों की दूरी पर, बाई तरफ़ एक भूरे रंग का दरवाज़ा बना हुआ था ।
"यहाँ.. तो ताला.." मैंने परेशान होकर धीरे से कहा ।
"अरे..! डोन्ट वॉरी अबाऊट दाट । मेरे पास चाबी है ।" सलोनी ने मुस्कुराते हुए जल्दी में कहा और अपनी बैग से चाबियां निकालकर ताला खोला ।
सलोनी के दरवाज़ा खोलते ही हम अंदर गए । वो कमरा बहोत बड़ा और साफ-सुथरा था । वहाँ दरवाज़े से अंदर डाई तरफ़ चार बेड्स रखें गए थे, जो दो-दो की जोड़ी में आमने-सामने लगाएं गए थे । वहां कमरे में दो बड़ी अलमारीयां भी रखीं हुई थी, जो बेड्स के दूसरी तरफ़ दाई ओर थी । वहीं डाई तरफ़ सामने की ओर किचन बना हुआ था । दरवाज़े से अंदर बाई तरफ़ दो और दरवाज़े थे, जिसमें एक बाल्कनी का दरवाज़ा था और दूसरा शायद बाथरूम का था । मगर उस कमरे की सबसे अच्छी बात ये थी कि वहां काफ़ी रोशनी और हवा आती थी । कमरे में बनी खिड़कियां और बाल्कनी की वजह से वहां और भी अच्छा लग रहा था । उस कमरे में तीन खिड़कियां थी, जिसमें से एक किचन के पीछे और दूसरी दो खिड़कियाँ दरवाज़े की तरफ़ बनाई गई थी ।
"अरे ! तुम खड़ी क्यूँ हो ? बैठो । मैं पानी लाती हूँ ।" सलोनी ने मुझे वहीं खड़े देखकर कहा और अंदर जाते हुए अपना बैग सामनेवाले बैड़ पर उछाल दिया ।
"हाँ । मगर क्यां हमें जाना नहीं है ?" "तुम बस मुझे जल्दी से उस जगह तक पहुँचा दो ।" मैंने परेशान होकर धीरे से कहा और हिचकिचाते हुए उसके बैड़ पर बैठ गई ।
ये जगह देखने में काफ़ी अच्छी थी । मगर कुछ देर के लिए यहां रहना भी मुझे बहोत अजीब लग रहा था । एक बार यहां की लैंडलेडी के मना करने के बाद मेरे लिए यहां कुछ समय के लिए रुकना भी मुश्किल था । इसलिए मैं हो सके उतनी जल्दी यहां से चली जाना चाहती थी ।
"डोन्ट वॉरी, मैं तुम्हे वहां ज़रूर ले चलूंगी । मगर पेहले तुम मुझे ये बताओ कि तुम क्यां पीओगी ? टी, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक ?" सलोनी ने मेरी बात को टालते हुए मुस्कुराकर कहा ।
लेकिन मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया । उसने मेरे पास आकर मुझे पानी का गिलास दिया और फ़िर से अंदर किचन में चली गई ।
"तुम नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं । मैं तुम्हें स्पेसिअल और मेरी फ़ेवरिट ड्रिंक पीलाती हूँ ।" सलोनी ने मेरा जवाब ना पाकर मुस्कुराते हुए कहा ।
"मैं ठिक हुँ । तुम्हे मेरे लिए कुछ स्पेसिअल करने की जरूरत नहीं । मैं तो बस युंही.." मैंने सलोनी को मना करते हुए कहा ।
"मैं ये बस तुम्हारे लिए नहीं, अपने लिए भी कर रही हुँ । इसलिए तुम बस आराम से बैठो । मैं बस अभी आती हुँ ।" सलोनी ने मेरी बात का जवाब देते हुए मुस्कुराकर कहा । मगर मैं चूप रहकर उसकी बातें सुनती रही ।
"क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकती हूं ?" मैंने कुछ देर तक सोचने के बाद धीरे से हिचकिचाते हुए कहा ।
"अरे.. तुम एक क्या, जितने चाहो उतने सवाल कर सकती हो । पर शर्त है कि वो सवाल मेथेमेटीक्स के ना हो ।" सलोनी ने हँसते हुए मज़ाक में कहा ।
"मैं बस जानना चाहती थी कि.. मेरा मतलब तुम जिस जगह की बात कर रही हो, अगर मैं वहां रहूंगी तो किसीको कोई परेशानी तो नहीं होगी ?" मैंने झिजकते हुए धीरे से सवाल किया ।
"ओ..! तो तुम उस पेलेस के बारें में बात कर रही हो ? नहीं, तुम्हारे वहां रहने से किसीको कोई प्रोबलम नहीं होगी । ट्रस्ट मी ।" सलोनी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ।
"मुझे तुम पर यक़ीन है । मगर क्या तुम्हें पूरा भरोसा है ?" मैंने परेशान होते हुए फ़िरसे सवाल किया ।
"हां, मुझे यक़ीन है । तुम बिल्कुल भी टेन्शन मत लो । सब सेट हो जायेगा ।" सलोनी ने मुझे भरोसा दिलाते हुए मुस्कुराकर कहा ।
"असल में उस पेलेस के ओवनर मिस्टर. शर्मा, उस पेलेस को लेकर काफ़ी उलझन में थे । कुछ सालों पेहले उन्होंने उस पेलेस को उसके असली मालिक से खरीदा था । लेकिन यहां के लोगों की बातें सुनने के बाद वो परेशान हो गए । और फ़िर उन्होंने उस पेलेस को बेचने का फैसला किया । इसलिए वो हमारे ओफ़िस भी आए थे । अपने पेलेस की एडवर्टाईज़मेन्ट करवाने के लिए । और हमने वो एडवर्टाईज़मेन्ट की भी । लेकिन हमें कोई रिसपोन्स नहीं मिला । और... तुम इसकी वजह तो जानती ही होगी ?" सलोनी ने सारी बातें बताते हुए कहा । और मैंने उसके सवाल पर धीरे से अपना सर हिलाया ।
तब सलोनी ने कहते हुए एक पल के लिये ख़ामोश हो गयी, "तब से वहां आज तक कोई नहीं गया । और अब तो उस पेलेस के मालिक ने भी वहां जाना छोड़ दिया है । इसलिए अगर तुम्हें कोई परेशानी नहीं हुई तो तुम वहां आराम से रह पाओगी ।" उसने फ़िर अपनी बात बताते हुए कहा ।
"लेकिन..! क्या तुम्हें उस पेलेस के असली मालिक के बारें में कुछ पता है ? मेरा मतलब उनका नाम, पता कुछ भी ।" "और.. क्या उन्हें इन सब भूतों की कहानियों के बारें में पता होगा ?" मैंने सारी बातें सुनने के बाद सोच-समझकर सलोनी से एक और सवाल किया ।
उसी समय सलोनी अपने हाथों में दो कप्स लेकर मेरे पास आई और मेरे सामने वाले टेबल पर बैठ गई ।
"उनके बारें में मुझे ज़्यादा कुछ तो नहीं पता । लेकिन.. जहां तक मुझे लगता है, उन्हें शायद इन कहानियों के बारें में पता था । और इसी बात से अपना पीछा छुड़ाने के लिए उन्होंने वो पेलेस ऐसे इन्सान को बेच दिया, जो यहां का नहीं था और इस बात से अंजान था ।" सलोनी ने जवाब देते हुए कहा और मेरे हाथ में चाय का कप पकड़ा दिया ।
तभी कुछ देर के बाद वहां एक लड़की आई, जिसने वाईट, लूज़ टोप और रेड जिन्स पहनी थी । इसके साथ ही उसने अपने पैरों में ब्लेक सेन्डल्स पहने हुए थे ।
"ये सीमर है । और ये मेरे साथ यहीं रहती है ।" "और सीमर ये पलक है । ये आज सुबह ही यहां आई है ।" सलोनी ने हम दोनों की तरफ़ देखकर हमारी पहचान करवाई ।
"हेलो ! नाईस टू मिट यू । मगर मैं ज़रा फ़्रेस होकर आती हूं ।" उस लड़की ने सलोनी की बात ख़त्म होते ही जल्दबाज़ी में कहा और मेरे कुछ कहने से पेहले ही हड़बड़ाहट में वहां से चली गई, जैसे वो किसी वजह से मुझसे नाराज़ थी ।
कुछ देर बाद हमारी चाय खत्म होते ही सलोनी हमारे कप्स लेकर किचन में चली गई । और उसके जाते ही मैं उठकर बाल्कनी में चली गई ।
वहां बाहर काफ़ी ठंड थी और साथ ही काफ़ी ठंडी हवाऐं चल रही थी । उस बाल्कनी से खड़े होकर देखने पर गली के छोर तक हर एक चीज़ देखी जा सकती थी । और साथ ही वहां से सामने बाई तरफ़ दूर पहाड़ी पर एक पेलेस के छत का कुछ हिस्सा देखा जा सकता था ।
मैं काफ़ी देर से बहार बाल्कनी में खड़ी रहकर वहां की चीज़ें देख रही थी । और तभी मुझे अंदर कमरे से सीमर की आवाज़ सुनाई दी ।
"ये वहीं लड़की है न जिसके बारें में तुम पीनाली आंटी से बात कर रही थी ?" सीमर ने परेशान होकर गुस्से में सवाल किया ।
"हां, लेकिन तुम इतनी क्यूं..." सलोनी ने जवाब देते हुए उसे शांत करने की कोशिश की ।
"अगर तुम.. उसे यहां हमारे साथ रखने के बारें में सोच रही हो, तो भूल जाओ । तुम्हें याद नहीं पीनाली आंटी ने क्या कहा था !? 'अगर तुमने ऐसा किया तो वो तुम्हारे साथ हम सबको भी यहां से निकाल देंगी', समझी तुम..?" सीमर ने सलोनी को टोकते हुए गुस्से में कहा ।
उसकी बातें सुनने के बाद मेरा एक पल के लिए भी वहां रुकना मुश्किल हो गया । उस समय मैं बस यही सोचकर परेशान थी कि कही उन आंटी ने मुझे यहां देख लिया तो वो गुस्सा ना हो जाए । और अगर मेरी वजह से इन सबको कोई भी तकलीफ़ हुई, तो मैं.. ख़ुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगी । इसलिए मैंने जल्दी से अपना सामान उठाया और बिना कुछ कहें वहां से चली गई ।
सलोनी के घर से बाहर निकलते ही मैं बिना कुछ सोचे बाई तरफ़ मुड़ गई और आगे बढ़ने लगी । मुझे इस जगह के बारें में और यहां के रास्तों के बारें में कोई जानकारी नहीं थी । मगर फ़िर भी मैं.. बग़ैर कुछ जाने-पहचाने उस रास्ते पर आगे बढ़ती जा रही थी । उस वक़्त मैं बस जितना हो सके उतना उस घर से दूर जाना चाहती थी, जिससे मेरी वजह से किसीको कोई तकलीफ़ ना हो ।
"पलक ? प्लिज़ वेट ! रूको ।" मैेंने चलते हुए अचानक पीछे से सलोनी की आवाज़ सुनी ।
उसकी आवाज़ सुनते ही मैंने अपने कदमों को वहीं रोक लिया । और धीरे से पीछे पलटकर देखा । वो सच में सलोनी ही थी । और स्कूटर लेकर मुझे ढूंढने निकली थी ।
"आई'एम वैरी सॉरी !" मेरे पास आते ही सलोनी ने उदास होकर कहा और अपना स्कूटर रोक दिया ।
"वो.. असल में सीमर ऐसी लड़की नहीं है । वो तो एक बहोत अच्छी लड़की है । लेकिन.. असल बात ये है कि जब मैंने उस दिन आंटी से तुम्हारी बात की, तब वो बिना किसी वजह हम सब पर बरस पड़ी । उन्होंने हमें वॉर्न किया कि, 'अगर किसी ने भी उनकी बात नहीं मानी तो वो सबको घर से निकाल देंगी ।' इसलिए सीमर परेशान हो गई थी । आई'एम वैरी सॉरी ! मुझे तुम्हें ये पेहले ही बता देना चाहिए था ।" सलोनी ने मुझे सारी सच्चाई बताते हुए उदास होकर कहा ।
"लेकिन.. शायद उसका डर सही था । क्योंकि वार्निंग मिलने के बाद भी तुम मुझे अपने साथ रखना चाहती थी, है न ?" मैंने सलोनी की तरफ़ देखकर धीरे से कहा ।
"हां, चाहती थी । क्योंकि तुम्हें वहां अकेले छोड़ने का मेरा मन नहीं कर रहा था । तो फ़िर मैं तुम्हें वहां अकेले कैसे रहने देती ।" सलोनी ने मेरी तरफ़ देखकर उदास होकर कहा ।
"मुझे पता है, तुम्हें मेरी फ़िक्र है । लेकिन मैं तुम्हारे साथ रहकर सबकी मुश्किलें बढ़ाना नहीं चाहती । तुम बस मुझे उस पेलेस तक ले चलों । मेरा यक़ीन मानों मुझे वहां कुछ नहीं होगा । और अगर कोई परेशानी हुई भी, तो मैं तुम्हें जरूर बताऊंगी ।" मैंने सलोनी को समझाते हुए, छोट सी उलझन भरी मुस्कुराहट के साथ कहा ।
"ओके, फाईन । मगर.. तुम मेरे साथ स्कूटर पर तो चलोगी न ?" सलोनी ने मेरी बात समझते हुए मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुए कहा ।
"हां, ज़रूर चलूंगी ।" मैंने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा ।
"लेकिन ये तुम्हारे पास कैसे आया ?" मैंने धीरे से सवाल किया और सलोनी के पीछे स्कूटर पर बैठ गई ।
"वो असल में ये मेरा नहीं है । ये स्कूटर मेरी एक रूममेट का है । वो अभी घर लौटी है । लेकिन मुझे तुम्हें ढूँढना था इसलिए मैंने मांग लिया ।" सलोनी ने जवाब देते हुए मुस्कुराकर कहा ।
"तो तुम ठिक से बैठ गई.?" सलोनी ने सवाल किया और मेरे "हाँ ।" कहते ही उसने स्कूटर शुरू कर दिया । और हम पेलेस की तरफ़ जानेवाले रास्ते पर चल पड़े ।
◆◇◆◇◆◇◆◇◆◇◆◇◆◇◆◇◆हेलो दोस्तों,
तो कैसी रही अब तक की ये असंभव कहानी ?
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Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndia
Paranormal#1 in Paranormal #1 in Ghost #1 in Indian Author #1 in Thriller #WattpadIndiaAwards2019 #RisingStarAward 2017 ये कहानी 'प्यार की ये एक कहानी' से प्रेरित ज़रूर है, लेकिन ये उससे बिल्कुल अलग है। कहते हैं कि सच्चा प्यार इंसानी शरीर से नहीं बल्कि रूह...