आज पेहली बार मैंने कहीं अकेले जाने की हिम्मत की थी और मुम्बई से सीमला तक का लंबा सफ़र बिल्कुल अकेले तय किया था ।
सीमला स्टेशन पर ट्रेन के रूकते ही मैं नीचे उतरी और वहीं स्टेशन पर बैठकर उस लड़की का इन्तजार करने लगी, जो मुझे लेने आने वाली थी ।
उसे यहाँ पहुंचने में देर हो गई थी । और वो अब तक यहाँ नहीं पहुँच पायी थी ।
उस लड़की का इन्तजार करते हुए मैं स्टेशन पर बैठकर वहाँ आने-जाने वाले लोगों को देख रही थी । और उन्हें अपने सामने से गुज़रते देख मुझे महसूस हो रहा था, जैसे मेरे लिए समय की रफ़्तार वहीं थम गई थी; जैसे मुझसे मेरा समय काफ़ी पीछे छूट गया था । लेकिन, बाकी सब लोग समय की रफ़्तार के साथ कदम मिलाकर आगे बढ़ते चलें जा रहें थे ।
"हेय..? हेलो..! मेरा नाम सलोनी है, सलोनी जोषी । तुम... पलक मोहिते होना..?" अचानक एक काले-घुँघराले बालों वाली लड़की ने मेरे पास आकर कहा, जिसने पीले रंग का स्पोर्टस टी-शर्ट और नीले रंग की जिन्स पहनी थी । साथ ही उसने अपने पैरों में सफेद रंग के स्पोर्टस शूज़ पहने थे ।
उस लड़की ने आते ही मुझे उस परछाईं की दुनियाँ से बाहर खीच लिया और एक बार फ़िर इस दुनियाँ में ले आयी ।
"हाँ.. मैं ही हूँ । मगर.. तुम्हें कैसे..." मैंने अपनी परछाईं की दुनियाँ से बाहर आते ही उसकी तरफ़ देखकर धीरे से सवाल किया ।
"कैसे पता चला कि तुम ही पलक हो, यही ना ?" उसने मेरी बात को कांटते हुए, मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुए कहा और मैंने सहमती में धीरे से अपनी पलकें झपकाई ।
लेकिन जवाब देने से पेहले ही उसने मेरी एक बैग उठा ली और तेज़ी से आगे बढ़ गयी । उसके आगे बढ़ते ही मुझे भी अपनी दूसरी बैग उठाकर जल्दी से उसके पीछे जाना पड़ा ।
"वो.. एक्टूअलि.. फ़ोन पर गीता ने तुम्हें इतनी अच्छी तरह से डिस्क्राइब किया था कि तुम्हें देखते ही मैंने पहचान लिया ।" सलोनी ने ख़ुशी से मुस्कुराते हुए कहना जारी रखा ।
"उसने.. मेरे बारें में ऐसा क्या कहा, जो तुम मुझे इतनी आसानी से पहचान गई ?" मैंने उलझी हुई दबी सी मुस्कुराहट के साथ धीरे से सवाल किया और उसके साथ आगे बढ़ती रही ।
"उसने कहा था कि तुम बहोत खूबसूरत हो । तुम्हारा रंग गोरा और लंबे, सुनहरे-भूरे बाल है । आँखों का रंग डार्क ब्राउन है । तुमने व्हाइट लॉग ड्रेस, ब्लेक जेकिट और पैरों में सेन्डलस पहने हैं । और हाँ.. उसने मुझे ये भी भेजा था ।" सलोनी ने मेरी बात के जवाब में मुश्कुराते हुए कहा और आख़िर में अपने मोबाईल फ़ोन में मेरा और गीता का फ़ोटो दिखाकर हँसने लगी ।
"लेकिन.. उसने मुझे तुम्हारे बारें में एक सबसे ख़ास बात बताई थी ।" सलोनी कहते हुए अचानक शांत पड़ गयी, "गीता ने.. बताया था कि तुम अकेली आने वाली हो । और.. तुम्हें देखते ही मुझे लगा, जैसे तुमसे ज़्यादा अकेला यहाँ और कोई नहीं । तुम सचमें काफ़ी लोनली नज़र आ रही थी ।" सलोनी ने मेरी तरफ़ देखकर गंभीर आवाज़ में धीरे से कहा ।
और सलोनी की बात सुनते ही मैंने हैरानी से उसकी तरफ़ देखा ।
मगर अपने अंदर दबी तकलीफ़ उसके सामने ना आ जायें, इस डर से मैंने जल्दी से अपनी नज़रें निचे झुका ली । मगर उसकी बातें सुनकर ऐसा लगा, जैसे मेरे अंदर छुपी तकलीफ़ और अकेलापन कहीं ना कहीं उसने जान लिया था ।
"बट डोन्ट वॉरी । अब मैं आ गई हूँ न, सब ठिक हो जायेगा ।" उसने मुस्कुराकर मेरी तरफ़ देखते हुए कहा ।
"म..गर.. एक छोटी सी प्रोबलम है ।" सलोनी ने अचानक उदास होकर कहा और सोच में पड़ गई ।
"क्या बात है ?" मैंने उसकी तरफ़ देखकर धीरे से सवाल किया ।
"वो एक्टूअलि, मैंने अपनी लैंडलेडी से तुम्हारे बारें में बात की थी । लेकिन.. उन्होंने मेरी बात सुने बिना ही मुझे सीधे मना कर दिया । उन्होंने कहा कि, 'एक कमरे में पेहले से चार लड़कियाँ रह रही हैं । अब इससे ज़्यादा वो और किसीको भी रखना नहीं चाहती ।' लेकिन डोन्ट वॉरी । ज़्यादा फ़िक्र की बात नहीं है । बस कुछ दिनों तक तुम्हें किसी दूसरी जगह रहना होगा । क्योंकि कुछ दिनों बाद हमारी एक रूममेट जाने वाली है । तब तुम मेरे साथ आकर रह पाओगी । पर तब तक हमें कुछ करना पड़ेगा ।" सलोनी ने थोड़ा परेशान होकर कहा ।
"कोई बात नहीं । मेरी.. वजह से तुम्हें इतना परेशान होने की कोई ज़रुरत नहीं । मेरा क्या है, मैं.. तो कहीं भी रहें लुंगी । कोई बंध जगह, जंगल या फ़िर चाहे वो.. कोई क़ब्रिस्तान ही क्यों ना हो । मैं कहीं भी रह लुंगी ।" मैंने लापरवाही से उदास होकर कहा । और आख़िरकार मेरे ना चाहते हुए भी मेरे ज़िन्दा होने की तड़प उसके सामने आ ही गयी ।
मेरी बात सुनते ही सलोनी चलते हुए एक पल के लिए वहीं थम गई और काफ़ी हैरानी भरी नज़रों से मेरी तरफ़ देखा ।
शायद मेरी बात सुनकर उसे झटका लगा था । शायद वो यही सोच रही थी कि, एक लड़की ऐसा कैसे सोच सकती थी, जबकि मेरे जैसी कोई आम लड़की जंगल और क़ब्रिस्तान जैसी ख़तरनाक जगह पर रहना तो दूर, वहाँ अकेले जाने के ख्य़ाल से भी डर जाती ।
"वोओओ...! तु..तुम तो..! बहोत ही डेरींगबाज़ लड़की हो ।" सलोनी ने हैरान होकर मेरी तरफ़ देखते हुए मुस्कुराकर कहा और किसी सोच में पड़ गई ।
"मगर.. फ़िर भी तुम ग्रेवयार्ड में बिल्कुल नहीं रह सकती ।" उसने साफ़ मना करते हुए परेशान होकर धीरे से कहा ।
"प्लिज़..! तुम्हें मेरे लिए ज़्यादा परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं । मैं.. नहीं चाहती कि मेरी वजह से किसीको भी कोई तकलीफ़ पहुँचें । यक़ीन मानों, मैं कहीं भी रह लुंगी । किसी भी बंध पड़ी जगह में या किसी पुराने खण्ड़हर में ।" मैंने सलोनी को परेशान देखकर गंभीरता से कहा और कुछ पलों के लिए एक बार फ़िर अपनी परछाइयों में गुम हो गयी ।
"वैसे भी मुझे अब अकेले ही रेहना है, तो अच्छा यही होगा कि मैं जल्दी ही इस सच के साथ रहना सिख जाऊँ ।" मैंने सलोनी की तरफ़ देखकर मायूसी भरी आवाज़ में धीरे से कहा ।
"वैसे..! ऐसी एक जगह है तो सही जहाँ तुम रह सकती हो । वो जगह काफ़ी समय से बंध पड़ी है । और वहाँ कोई आता-जाता भी नहीं । मगर..." सलोनी ने मेरी बात पर सोच-विचार करने के बाद धीरे से कहा और कहते हुए परेशान होकर फ़िर चुप हो गई ।
"क्या हुआ..? तुम कहते हुए रुक क्यूँ गई ?" मैंने सलोनी के कंधे पर हल्के से हाथ रखते ही धीरे से सवाल किया ।
"वैसे... वहाँ रहने में कोई प्रोबलम तो नहीं है और वो जगह भी काफ़ी अच्छी है । लेकिन.. यहाँ के कुछ लोग उसे भूत बँगला और गोस्ट हाऊस कहते हैं । लोग मानते हैं कि वो प्लेज़ गोस्टली है । वहाँ किसी की आत्मा भटक्ति है ।" सलोनी ने उस जगह के बारें में बताते हुए गंभीरता से कहा ।
"मगर.. मैं इन सब चीज़ों में यक़ीन नहीं करती । और अगर ऐसा कुछ हुआ भी तो मुझे उसकी कोई चिंता नहीं । जो होना है वो तो होकर ही रहेगा । तुम मुझे वहाँ ले जा सकती हो ।" मैंने सलोनी की परेशानी कम करने की कोशिश करते हुए लापरवाही से कहा ।
"मैं भी ऐसी बातों पर यक़ीन नहीं करती । लेकिन.. मुझे तुम्हारी चिंता है । अगर कहीं तुम्हे कुछ..." सलोनी ने परेशान होकर कहा ।
"तुम मेरी फ़िक्र मत करो । अगर मुझे कोई परेशानी हुई तो मैं तुम्हें बता दूंगी । तुम बस मुझे वहाँ तक ले चलों ।" मैंने सलोनी को समझाते हुए कहा ।
"ओके..! मैं तुम्हें वहाँ ले चलूंगी । लेकिन पेहले चलकर कुछ खाते हैं । मुझे पता है तुम्हें तो भूख लगती नहीं होगी । पर मुझे तो बहोत भूख लगी है । और इसका मतलब तुम्हें भी मेरे साथ खाना पड़ेगा ।" सलोनी ने मेरी तरफ़ देखकर हँसते हुए कहा ।
पर मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया । और चुपचाप बस उसके साथ आगे चलती रही ।
"क्या हुआ ? तुम क्या सोच रही हो ? यही ना कि ये कैसी अजीब सी लड़की है । कितना पटर-पटर करती है । मगर क्या करूँ.. मैं ऐसी ही हूँ, टोकेक्टिव ।" सलोनी ने हँसते हुए कहा ।
"नहीं, ऐसी कोई बात नहीं । मैं तो बस युंही.." मैंने झिजकते हुए कहा ।
"तुम बिल्कुल परेशान मत हो । मुझे तुम्हारे बारें में सब पता है । इसलिए यू जस्ट डोन्ट वॉरी । ओके..!" सलोनी ने मेरी तरफ़ देखकर धीरे से कहा ।
"वो एक्टूअलि गीता ने मुझे तुम्हारे बारें में सब पेहले ही बता दिया था । इसलिए मैं तुमसे ऐसा कोई सवाल नहीं करूँगी, जिससे तुम्हें तकलीफ़ हो । तो तुम मुझसे कोई भी बात खुलकर शेयर कर सकती हो ।" सलोनी ने मेरी तरफ़ देखकर मुझे भरोसा दिलाते हुए मुस्कुराकर कहा ।
ऐसा नहीं था कि सलोनी मुझे पसंद नहीं थी । वो बहोत अच्छी थी और मुझे उसके साथ रहने में कोई दिक्कत नहीं थी । वो हमेशा खुश रहनेवालो में से थी और शायद वो दूसरों को भी खुश रखना चाहती थी । उसे मेरे बारें में सब पता था फ़िर भी वो मुझे खुश करने की कोशिश कर रही थी ।
लेकिन मेरे मन में उदासी और तकलीफ़ के सिवा कुछ नहीं बचा था । मैं उस एक्सीडेंट को भूल नहीं पा रही थी । वो सारी डरानी यादें हमेशा मेरे मन में घूमती रहती । मैं कितनी भी कोशिश क्यों ना करूँ, लेकिन मैं ये नहीं भूल पा रही थी कि उस एक्सीडेंट के समय मैं भी उसी गाड़ी में थी । मगर.. फ़िर भी ऐसा मेरे ही परिवार के साथ ही क्यूँ हुआ ? और अगर ऐसा होना ही था तो उस एक्सीडेंट में मेरी जान क्यूँ बच गई ! अगर उस दिन मेरी भी मौत हो जाती तो मुझे इतनी तकलीफ़ नहीं होती ।
मैं खुशनसीब थी कि मुझे गीता और सलोनी जैसे दोस्त मिले थे । लेकिन इसके सिवा मैं अपनी हर एक बात से नाराज़ थी; मुझे.. अपने ज़िंदा बचने का अफ़सोस था ।
"अरे..! हाँ । रहने की प्रोबलम तो सोल्व हो गई । लेकिन यहाँ रहकर तुम करोगी क्या..? तुमने इस बारें में कुछ सोचा है ?" सलोनी ने अचानक थोड़ी ऊँची आवाज़ में कहा ।
"नहीं, अभी तक.. मैंने कुछ सोचा नहीं । लेकिन अगर कोई जॉब मिल जाती तो मेरे लिये ठिक होगा ।" मैंने जवाब देते हुए धीरे से कहा ।
"ओके, वैसे मेरे ओफ़िस में एक राईटर की जगह खाली है । अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारा नाम सजेस्ट कर सकती हूँ ।" "वाव..! अगर तुम्हें ये पोस्ट मिल गई तो मुझे बहोत अच्छा लगेगा । हम दोनों एक साथ ओफ़िस जाएंगे और एक ही ओफ़िस में काम करेंगे । और सबसे अच्छी बात हम दोनों रोज़ बहोत मज़ा भी करेंगे ।" सलोनी ने खुशी से चहकते हुए कहा ।
वो मेरी जोब पक्की होने से पेहले ही इतनी खुश थी कि उसकी इस खुशी को देखने के बाद अब मैं उसकी ये खुशी और उसकी उम्मीद तोड़ना नहीं चाहती थी । उसकी ये खुशी देखकर मुझे डर लगने लगा था कि कहीं मेरी वजह से उसकी ये खुशी दूर ना हो जाए ।
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Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndia
Paranormal#1 in Paranormal #1 in Ghost #1 in Indian Author #1 in Thriller #WattpadIndiaAwards2019 #RisingStarAward 2017 ये कहानी 'प्यार की ये एक कहानी' से प्रेरित ज़रूर है, लेकिन ये उससे बिल्कुल अलग है। कहते हैं कि सच्चा प्यार इंसानी शरीर से नहीं बल्कि रूह...