Chapter 16 - Palak (part 5)

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Hello Guys,
Sorry for delay and keep you waiting. But Now here I'm and bring you the most long lasting chapter ever. I hope you all will enjoy the chapter. But CONDITIONS APPLY.. You have to take oath that you will share your scary, merry, fairy experience.. in comment box. And you will be ready for more upcoming scary, adventurous, mysterious and of course horrify chapters. 😉✌
So are you Ready?! Don't scare, Don't scream just Enjoy..!!
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रात  9 : 00  बजे ।
गौतम  इस  हादसे  से  काफ़ी  परेशान  था ।  उसने  सारी  बातें  पीयाली  को  बतायी ।  पीयाली  का  इन  बातों  पर  विश्वास  नहीं  था ।  लेकिन  वो  जानती  थी  कि,  गौतम  सच  कह  रहा  था ।  उसने  गौतम  को  समझाया  और  इन  बातों  को  ज़्यादा  गंभीरता  से  ना  लेने  का  सुझाव  दिया ।  कुछ  दिनों  बाद  गौतम  की  परेशानी  कम  होती  गई  और  इसी  बीच  पीयाली  और  गौतम  की  सगाई  हो  गई ।"  चंद्र  ने  बारीकी  से  कहानी  बताते  हुए  कहना  जारी  रखा ।
गौतम  काफ़ी  निडर  और  बहादुर  था,  जो  वो  इन  खतरनाक  शक्तियों  के  साथ  रह  पाया ।  जो  मैं  कभी  नहीं  कर  सकती  थी ।  अगर  गौतम  की  बजाय  मैं  होती  तो  जाने  क्या  कर  बैठती ।  पर  मैं  खुशनसीब  थी  कि,  आज  चंद्र  मेरे  साथ  था ।  वरना  पता  नहीं  मैं  जिंदा  बच  भी  पाती  या  नहीं ।
अपने  खयालो  के  बीच,  "इस  सगाई  से  गौतम  और  पीयाली  बहुत  खुश  थे ।  लेकिन  वो  ये  नहीं  जानते  थे  कि,  बहुत  ही  जल्द  उनकी  ये  खुशी  गुम  होने  वाली  थी ।"  चंद्र  की  बातें  मेरे  कानों  पर  पड़ी  और  मैंने  लगातार  लिखना  जारी  रखा ।
"क्या  मतलब !?"  चंद्र  की  बात  से  परेशान  होकर  मेरे  मुंह  से  निकल  गया ।
मेरी  तरफ़  मुड़ते  ही  चंद्र  ने  अपनी  गहरी  भूरी  आंखों  से  मेरी  ओर  देखा,  "उनकी  सगाई  के  लगभग  दो  दिन  बाद  एक  बार  फ़िर  गौतम को  उसकी  शक्तियों  ने  परेशान  कर  दिया ।  उस  रात  गौतम  ने  अपने  सपने  में  उस  इंसान  की  भयानक  मौत  देखी  जिसे  वो  बेहद  चाहता  था ।  गौतम  उसकी  मौत  के  बारे  में  जानकर  इतना  परेशान  बौखलाया  हुआ  कि  वो  इस  बात  पर  यक़ीन  ही  नहीं  कर  पा  रहा  था ।"  और  कहानी  कहते  हुए  काफी  गंभीर  हो  गया ।
"चंद्र ?"  चंद्र  को  काफी  गंभीर  देखकर  मैं  उसके  क़रीब  गई ।  "वो  कौन  था  जिसकी  मौत  की  भनक  ने  गौतम  को  इतना  परेशान  कर  दिया  था ?"  चंद्र  की  तरफ  देखकर  मैंने  बेसब्री  से  पर  धीमे  से  सवाल  किया ।
"पियाली..!"  मेरी  आंखों  में  देखते  ही,  "पियाली  की  मौत  की  खबर  ने  गौतम  को  हिलाकर  रख  दिया  था ।"  चंद्र  ने  कड़ी  आवाज़  में  कहा ।
"गौतम  अपनी  हर  परेशानी,  हर  बात  पियाली  को  बताता  था ।  पर  इस  बार  वो  पियाली  से  कुछ  नहीं  कह  पाया ।  वो  अंदर  ही  अंदर  घुटता  रहा ।"  कहानी  आगे  बढ़ाते  हुए,  "मगर  इस  बार  गौतम  ने  ठान  लिया  था  कि,  वो  पियाली  को  कुछ  नहीं  होने  देगा ।  लेकिन  गौतम  इस  बात  से  बेखबर  था  कि,  उसका  यहीं  फैसला  उसे  आगे  चलकर  इतनी  तकलीफ  पहुंचने  वाला  था ।"  चंद्र  ने  कहना  जारी  रंखा ।
चंद्र  एक  बार  फ़िर  कहानी  के  नाजुक  हालातों  को  लेकर  गंभीर  हो  गया । 
"उस  दिन  के  बाद  गौतम  हर  रोज़  सुबह  अपनी  खोज  में  निकल  पड़ता ।  वो  किसी  भी  हाल  में  ये  जानना  चाहता  था  कि,  वो  पियाली  की  मौत  को  कैसे  टाले ।  और  अपने  इसी  सवाल  के  जवाब  पाने  की  कोशिश  में  लाइब्रेरी,  चर्च,  मंदिर,  दरगाह  हर  जगह  भटकता  रहा ।  यहां  तक  कि  वो  श्मशान  में  तंत्र  करने  वाले  तांत्रिकों  से  भी  मिला ।  लेकिन  उसे  इसका  कोई  जवाब  नहीं  मिला ।  वो  जिससे  भी  मिला  उन्होंने  यही  कहां  कि,  मौत  निश्चित  है  उसे  टाला  नहीं  जा  सकता ।  इसी  तरह  दो  दिन  गुज़र  गए ।  लेकिन  गौरव  को  कोई  जवाब  नहीं  मिला ।  अगले  दिन  भी  सुबह  से  शाम  तक  गौतम  इसी  सवाल  को  मन  में  रख  कर  जवाब  के  लिए  भटकता  रहा ।  और  जब  वो  थक-हार  कर  निराश  हो  गया  तो  वो  किसी  पूराने  श्मशान  के  पास  बने  महा  देव  के  मंदिर  जा  पहुंचा ।  और  तब  अचानक  एक  अघोरी  बाबा  ने  उसे  अकेले  बैठे  देख  उसके  परेशानी  का  कारण  पूछा ।  तब  गौतम  ने  अपने  साथ  हुई  सारी  घटनाएं  उन्हें  बताई  और  अपने  प्यार  को  बचाने  का  कोई  उपाय  सुझाने  की  गुज़ारिश  की ।  वो  अघोरी  बाबा  भी  इस  बात  से  गंभीर  होकर  खामोश  हो  गए ।  और  फिर  उन्होंने  कहा  कि,  'बेटा,  तुम  जिस  तरह  इन  हालातों  से  गुज़र  रहे  वो  सच  में  बहुत  हिम्मत  की  बात  है ।  लेकिन  तुम  जो  करना  चाहते  हो  वो  नामुमकिन  की  तरह  है ।  क्योंकि  मौत  एक  ऐसी  सच्चाई  है,  जो  कभी  अपना  रास्ता  नहीं  बदलती ।  जो  उसके  रास्ते  में  आता  है  वो  उसे  पाता  है ।'"  चंद्र  ने  गंभीरता  से  कहा ।
"उन  अघोरी  बाबा  की  इस  बात  का  क्या  मतलब  था ?"  मैं  बेकरारी  में  बोल  गई ।
"गौतम  भी  इस  बात  का  मतलब  नहीं  जान  पाया ।  लेकिन  इतना  कहते  ही  वो  अघोरी  बाबा  वहां  से  चले  गए  थे ।"  मेरे  सवाल  का  जवाब  देते  हुए  चंद्र  ने  कहना  जारी  रखा ।  "गौतम  अपनी  पियाली  को  बचाने  का  रास्ता  ढूंढ  ही  रहा  था  कि,  इसी  दौरान  वो  दिन  भी  आ  ही  गया  जब  गौतम  का  ये  डर  सच  साबित  होने  वाला  था ।  उस  दिन  पियाली  गौतम  के  घर  आई  और  वो  दोनों  अपनी  शादी  की  शॉपिंग  के  लिए  गए ।  उस  दिन  गौतम  पियाली  को  देखकर  बहुत  डरा  हुआ  था,  क्योंकि  पियाली  ने  बिल्कुल  वही  कपड़े  पहने  थे  जैसा  गौतम  ने  सपने  में  देखा  था ।  और  पियाली  के  आने  के  बाद  से  सारी  बातें  गौतम  के  सपने  के  मुताबिक  ही  घटने  लगी  थी ।  शॉपिंग  के  बाद  गौतम  और  पियाली  एक  रेस्टोरेंट  में  गए ।  लेकिन  पियाली  अपना  पर्स  गाड़ी  में  भूल  गई ।  और  गौतम  के  मना  करने  पर  भी  वो  ख़ुद  अपना  पर्स  लेने  चली  गई ।  गौतम  का  मन  नहीं  माना  और  वो  भी  उसके  पीछे  चल  पड़ा ।  तब  वापस  लौटते  समय  पियाली  रोड़  क्रोस  कर  रही  थी  कि  इतने  में  तेज़  हॉर्न  की  आवाज़  करता  हुआ  एक  बहुत  बड़ा  कंटेनर  ट्रक  तेज़  रफ़्तार  से  उसकी  तरफ़  आया ।  लेकिन  अहम  वक्त  पर  गौतम  ने  आकर  पियाली  को  अपनी  ओर  खिच  लिया ।  मगर  उस  रास्ते  पर  एक  के  बाद  एक  तीन  से  चार  कार,  ट्रक  और  गाड़ियां  काफ़ी  ख़तरनाक  तरीके  से  उन  दोनों  के  क़रीब  से  गुज़र  गई,  जो  जानलेवा  ढंग  से  कभी  भी  पियाली  और  गौतम  को  कूंचल  सकती  थी ।  पर  गौतम  ने  हार  नहीं  मानी ।  और  उसने  पियाली  की  तक़दीर  में  लिखी  मौत  को  हरा  ही  दिया ।  गौतम  का  प्यार  सच्चा  था  और  उसने  अपनी  पियाली  को  बचा  लिया  था,  जिससे  वो  बहुत  खुश  था ।"  चंद्र  का  कहा  हर  एक  शब्द  मैं  अपनी  डायरी  में  लिखती  गई ।  पर  लिखने  के  साथ  ही  मैं  उस  दर्द  और  खुशी  को  महसूस  कर  रही  भी ।
"मुझे  खुशी  है,  गौतम  ने  अपने  प्यार  को  बचा  लिया ।"  मैंने  कहते  हुए  चंद्र  की  तरफ़  देखा  पर  वो  अब  भी  मायूस  था ।  शायद  कहानी  अब  भी  जारी  थी ।  और  कोई  अजीब  मोड़  लेने  वाली  थी ।
"उसके  बाद  अगले  दिन  से  उन  दोनों  के  घरों  में  गौतम  और  पियाली  की  शादी  की  तैयारियां  पूरे  शोरगुल  के  साथ  शुरू  हो  गई,  जिसमें  गौतम  भी  शामिल  था ।  पर  इसी  दौरान  टीवी  में  आयी  एक  एक्सिडेंट  की  खबर  देखकर  गौतम  बहुत  ही  ज़्यादा  परेशान  हो  उठा ।  क्योंकि  वो  कंटेनर  और  गाड़ियां  वहीं  थे,  जिससे  पियाली  और  गौतम  बहुत  मुश्किल  से  अपनी  जान  बचा  पाए  थे ।  उस  कंटेनर  की  पेट्रोल  पंप  के  साथ  हुई  ज़ोरदार  टक्कर  से  बड़ा  धमाका  हुआ  और  उन  बेकाबू  गाड़ियों  ने  कई  दुकानें  तबाह  कर  दी  थी,  जिसमें  कई  लोगों  की  जान  चली  गई  थी ।"  चंद्र  ने  जैसे  अपने  दिल  पर  पत्थर  रखकर  थोड़ी  भारी  आवाज़  में  कहा,  जैसे  वो  उस  खौफनाक  मंज़र  को  अपने  सामने  देख  रहा  था ।
"मतलब  वो  गाड़ियां  वहीं  थी,  जिससे  गौतम  और  पियाली  बच  निकले  थे ?!"  गहरी  सोच  के  बीच  वो  अल्फ़ाज़  मेरे  मुंह  से  बाहर  आए ।
सहमति  में  हल्के  से  अपना  सर  झूकाते  ही,  "बिल्कुल ।  टीवी  पर  वो  खबर  देखते  ही  गौतम  बड़बड़ाया  हुआ  उस  जगह  जा  पहुंचा ।  वहां  का  खूनी  मंज़र  देखकर  गौतम  पूरी  तरह  सहम  गया ।  और  डर  से  लड़खड़ाते  पैरों  से  आगे  बढ़ता  हुआ  वो  सड़क  के  उस  छोर  तक  गया  जहां  तक  उन  बेकाबू  गाड़ियों  ने  तबाही  मचाई  थी ।  उस  सड़क  के  छोर  पर  एक  घर  था,  जो  आधा  टूट  चुका  था ।  और  गौतम  अपने  कांपते  पैरों  को  घसीटते  हुए  अंदर  तक  जा  पहुंचा ।  उसके  अंदर  जाते  ही  एक  बुज़ुर्ग  आदमी  ने  सर  उठाकर  उसे  देखा,  जो  उस  खंण्डहर  हो  चुके  घर  में  एक  दो - तीन  साल  के  छोटे  बच्चे  को  लेकर  कुर्सी  में  बैठे  थे ।  उनके  चेहरे  पर  दुःख  और  तकलीफ  का  साया  देखकर  गौतम  कुछ  नहीं  कह  पाया ।  तब  सफेद  कुर्ता  और  पजामा  पहने  हुए  वो  दादाजी  उस  बच्चे  को  गोद  में  उठाये  उसके  सामने  आए  और  गौतम  से  उनके  घर  आने  की  वजह  पूछी ।  तब  गौतम  ने  कहा  कि,  'जब  एक्सिडेंट  हुआ  तो  वो  भी  उसी  जगह  के  आसपास  था ।'  और  गौतम  को  देखकर  उनके  आंखों  से  आंसू  बहने  लगे ।  उन्होंने  कहा  कि,  'उनका  बेटा  और  बहू  भी  वहीं  पास  में  खरीददारी  करने  गए  थे ।  और  इतने  में  ये  सब  हो  गया ।  उसके  बाद  मुझे  पता  चला  कि,  कल  वो  ट्रक  एक  लड़का  और  लड़की  को  कुचलने  वाला  था ।  पर  वो  बच  गएँ ।  और  फ़िर  आगे  जाकर  वो  कंटेनर  बिल्कुल  बेकाबू  हो  गया ।  उसके  पीछे  तीन - चार  गाड़ियां  अपना  संतुलन  खोकर  रास्ते  से  भटक  गई  और  ये  जानलेवा  हादसा  हो  गया ।' 'शायद  वो  दोनों  नहीं  मरते  और  ये  हादसा  भी  ना  होता  अगर  वो  कंटेनर  रुक  गया  होता ।' तभी  बाहर  से  एक  लड़की  आई  और  उसने  गुस्से  में  चिड़ते  हुए  कहा ।"  चंद्र  ने  आगे  कहना  जारी  रंखा ।
लड़की!  पर  उनकी  बहू  तो..
"वो  लड़की  उनकी  बेटी  थी ।  उसकी  बात  सुनकर  गौतम  हैरान  रह  गया ।  और  गौतम  ने  पूछा  कि,  'इसका  क्या  मतलब  है ?'  तब,  'इसका  यहीं  मतलब  है  कि,  अगर  वो  कंटेनर  उस  चौराहे  पर  ही  रुक  जाता  तो  ये  हादसा  होता  ही  नहीं,  फ़िर  चाहे  इसमें  एक-दो  लोगों  की  जान  ही  क्यों  ना  चली  जाती ।  लेकिन  ये  तबाही  तो  ना  मचती ।  और  मेरा  भाई - भाभी  भी  ज़िंदा  होते ।'  अपना  गुस्सा  गौतम  पर  उतारते  हुए  वो  लड़की  नाराज़गी  में  बोल  गई ।  गौतम  उस  लड़की  की  बात  को  ठीक  से  नहीं  समझ  पाया ।  पर  वो  उसकी  बात  से  दंग  रह  गया  था ।  तब  गौतम  की  तरफ़  गुस्से  में  देखते  हुए,  'मुझे  पाता  है,  वो  लड़के  तुम  ही  थे  जिसने  उस  लड़की  को  बचाने  के  लिए  सारे  खतरे  मौल  लिए ।  लेकिन  तुमने  उन  कई  मासूम  लोगों  के  जान  की  परवाह  नहीं  की ।  तुम  निकल  जाओ  यहाँ  से ।'  उस  लड़की  ने  गुस्से  में  कहा ।"  चंद्र  ने  कहानी  को  बारीकी  से  समझाते  हुए  कहा ।
"लेकिन  इसमें  गौतम  का  क्या  कसूर  था!  ये  सब  एक  हादसा  था,  तो  फ़िर  उस  लड़की  का  गौतम  दोषी  ठहराने  का  मतलब  था!?"  चंद्र  की  कहानी  सुनकर  मैं  ये  सवाल  करने  से  मजबूर  हो  गई ।
"गौतम  भी  इसी  सवाल  का  जवाब  ढूंढना  चाहता  था ।  पर  उसे  समझ  नहीं  आ  रहा  था  कि,  वो  किससे  मदद  ले ।  तब  उसे   अचानक  उन  अघोरी  बाबा  का  ख़्याल  आया,  जो  उसे  श्मशान  के  क़रीब  महा  देव  मंदिर  में  लिए  थे ।  और  अगले  ही  दिन  वो  उन  अघोरी  बाबा  को  ढूंढ़ता  हुआ  वहां  जा  पहुंचा ।  गौतम  पूरा  दिन  पागलों  की  तरह  उन्हें  ढूंढ़ता  रहा ।  लेकिन  उन  अघोरी  बाबा  का  कोई  नामों-निशान  नहीं  था ।  आंखिरकार  उनके  इंतज़ार  गौतम  वहीं  बैठा  रहा ।  तब  कांफी  समय  बाद  देर  रात  तकरीबन  दस-साढे़  दस  बजे  के  आसपास  अचानक  गौतम  को  एक  अजीब  किस्म  की  आवाज़  सुनाई  दी,  किसी  आदमी  के  गाने  की  आवाज़ ।  उस  गाने  की  आवाज़  सुनते  ही  गौतम  ने  हड़बड़ाहट  में  अपनी  जगह  से  खड़ा  हो  गया  और  उसकी  नज़र  दूर  शमशाम  में  जलती  चिता पर  गई  और  गौतम  डर  से  कांपते  हुए  पैरों  के  साथ  वहां  गया ।  शमशान  में  जाते  ही  गौतम  ने  उस  जलती  चिता  के  इर्द-गिर्द  चक्कर  लगाते  हुए  किसी  को  नाचते  और  किसी  तरह  का  गाना  गाते   देखा ।  गौतम  उनके  इस  रौद्र  रुप  को  देखकर  बिल्कुल  दंग  रह  गया  और  उसके  ज़बान  बिल्कुल  खामोश  हो  गई ।  वो  वापस  मुड़कर  लौटने  ही  वाला  था  कि  तब,  'मैं  जानता  हूं  बच्चे  तुम्हें  यहाँ  कौनसी  परेशानी  खींच  लायी  है ।'  इन  शब्दों  को  सुनकर  उसके  पैर  रुक  गए  और  वो  समझ  गया  कि,  ये  वही  अघोरी  बाबा  थे,  जिन्हें  वो  ढूंढ  रहा  था ।  'मांफ  करिएगा  बाबा,  आप  तो  सब  जानते  हैं ।  मैंने  अपने  प्यार  को  तो  बचा  लिया । लेकिन  मैं  उन  मासूम  लोगों  को  नहीं  बचा पाया  जिनकी  जान  उस  हादसे  में  गई  है ।  मैं  उनकी  मौत  का  कोई  आभास  नहीं  था  इसलिए  मैं  उन्हें  नहीं  बचा  पाया ।  तो  क्या  ये  मेरा  कसूर  है,  बाबा ?  क्या  उनकी  मौत  का  ज़िम्मेदार  मैं  हूँ ?'  गौतम  ने  काफी  परेशान  होकर  अपने  सवालों  के  जवाब  मांगे ।"  चंद्र  के  इस  पूरे  विवरण  को  सुनकर  मैं  पूरी  तरह  इस  कहानी  में  डूब  चुकी  थी ।  मुझे  लग  रहा  था,  जैसे  गौतम  की  ज़िंदगी  को  मैं  देख  चुकी  थी ।
"क्या  गौतम  को  उसके  जवाब  मिले ?"  मैंने  चंद्र  की  तरफ़  देखकर  कहा ।
मेरे  करीब  आते  ही  हल्के  से  अपना  सर  झुकाकर,  "अघोरी  बाबा  गौतम  की  तकलीफ़  जान  चुके  थे ।  और  गौतम  के  पास  आते  ही  उन्होंने  कहा,  'हम  अघोरी  है,  हमारे  लिए  जीवन  और  मृत्यु  कोई  मायने  नहीं  रखते ।  हम  सब  शिव  के  अंश  है  और  मृत्यु  के  बाद  शिव  में  ही  मिल  जाते  हैं ।  मैं  नहीं  जानता  कि  दूसरे  लोगों  की  मौत  के  ज़िम्मेदार  तुम  हो  या  नहीं ।  लेकिन  मैंने  तुमसे  कहा  था  कि,  मौत  अपना  रास्ता  नहीं  बदलती ।  उसके  रास्ते  में  जो  आता  है  वो  उसे  पाता  है ।' तब  अघोरी  बाबा  की  बात  सुनते  ही  गौतम  के  सवाल  किया  कि,  'अगर  यहीं  नियति  है  बाबा  तो  फ़िर  परमेश्वर  ने  मुझे  ये  साप  दिया  ही  क्यों ?  मैं  नहीं  जानना  चाहता  किसी  का  भविष्य ।  मैं  देखना  चाहता  पारलौकिक  रहस्य ।'  गौतम  को  परेशानी  में  रोते  हुए  बेबस  देखकर  अघोरी  बाबा  ने  उसके  सर  पर  हाथ  रंखा ।  और  तब  उन्होंने  कहा  कि,  'हो  सकता  है  तुम्हारे  ज़रिए  परमेश्वर  उन  बेबस  आत्माओं  की  मदद  करना  चाहते  थे,  जो  अपनी  अधूरी  इच्छा  के  कारण  भटक  रहे  हो ।  और  जिस  हादसे  में  मरे  लोगों  के  बारे  तुम  नहीं  जान  पाए  तो  शायद  हो  सकता  है  ये  निश्चित  ना  हो ।  और  नियति  में  आए  बदलाव  की  वजह  ये  घटित  हुआ  हो ।'  बाबा  की  इस  बात  ने  गौतम  को  हिलाकर  रख  दिया ।  'इसका  मतलब  वो  लड़की  सही  थी ।  अगर  उस  दिन  मैं.. अपने  प्यार  को  नहीं  बचाता  तो  ये  हादसा  भी  ना  होता ।'  गौतम  उस  लड़की  की  कही  बातों  की  गहरी  जानकर  अपनेआप  को  दोषी  मानने  लगा  था ।  'मैं  नहीं  जानता  बच्चे  कि,  अगर  तुमने  उस  लड़की  को  बचाया  ना  होता  तो  ये  हादसा  टल  सकता  था  या  नहीं ।  लेकिन  तुमने  समय  से  पहले  सिर्फ  उसी  लड़की  की  मौत  को देखा  था ।  इसलिए  उसकी  मौत  निश्चित  थी ।  पर  तुम  उस  हादसे  के  शिकार  हुए लोगों  की  मौत  का  तुम्हें  कोई  आभास  नहीं  था  यानी  वो  हादसा  निश्चित  नहीं  था ।  जो  भी  होता  है  सब  उसकी  मर्जी  है,  बच्चे ।'  अघोरी  बाबा  इतना  कहते  ही  आगे  बढ़  गए ।  गौतम  उनसे  मिलने  के  बाद  वापस  घर  लौट  आया ।  लेकिन  अघोरी  बाबा  से  बात  करने  के  बाद  उसे  उस  लड़की  की  बात  पर  यक़ीन  हो  गया  था ।  वो  उन  लोगों  की  मौत  का  ज़िम्मेदार  ख़ुद  को  मानने  लगा  था ।  और  ये  सच  भी  था  कि,  अगर  गौतम  ने  नियति  को  बदलना  ना  होता  तो  ये  हादसा  ना  होता ।"  चंद्र  ने  कठोरता  से  कहा ।
"लेकिन  क्या  उसे  अपने  प्यार  को  आंखों  के  सामने  मरने  देना  चाहिए  था !"  मैं  चंद्र  से  जवाब  मांगे  बिना  नहीं  रह  पाई ।
"बिल्कुल  नहीं ।  लेकिन  कुछ  शक्तियां  बहुत  खतरनाक  होती  है ।  उनका  इस्तेमाल  सोच  समझकर  ना  करने  पर  वो  तबाही  ला  सकती  है ।  और  गौतम  के  मामले  में  भी  यही  हुआ ।  गौतम  ने  पियाली  को  तो  बचा  लिया ।  लेकिन  उसने  ये  नहीं  सोचा  कि,  इसका  नतीजा  क्या  होगा ।  अगर  वो  ये  सोचता  तो  शायद  पियाली  के  साथ  उन  मासूम  लोगों  को  भी  बचा  सकता  था ।  और  इसी  बात  का  अफ़सोस  गौतम  को अंदर  ही  अंदर  खाता  चला  गया ।  वो  बहुत  ही  ज़्यादा  परेशान  रहने  लगा ।  एक  तरफ़  उन  दोनों  के  शादी  के  दिन  करीब  आते  जा  रहे  थे  तो  वहीं  दूसरी  और  गौतम  को  अपनी  भूल  का  एहसास  मारता  जा  रहा ।  और  उसकी  ये  अनोखी  शक्ति  बार-बार  उसे  अपने  बिस्तर  से  खड़ा  कर  देती ।  इसी  दौरान  गौतम  और  पियाली  के  शादी  की  संगीत  की  रात  भी  आ  गई ।  सभी  लोग  संगीत  के  हंगामे  में  खोये  थे । पर  गौतम  कौने  में  चुपचाप  बैठा  था ।  वो  जिस  लड़की  से  इतना  ज़्यादा  प्यार  करता  था  कल  उसी  लड़की  के  साथ  उसकी  शादी  होने  जा  रही  थी ।  लेकिन  इस  बात  की  खुशी  से  ज़्यादा  गौतम  को  उन  लोगों  की  मौत  का  अफसोस  परेशान  किये  जा  रहा  था ।  गौतम  को  खामोश  खड़ा  देखकर  उसके  कुछ  दोस्त  उसके  पास  आये  और  उसे  ज़बरदस्ती  खींच  कर  अपने  साथ  डांस  करने  ले  गए ।  उनके  बीच  गौतम  भी  कुछ  समय  के  लिए  अपना  गम  भूल  गया ।  लेकिन  फ़िर  अचानक  ही  गौतम  के  कानों  में  पड़ता  संगीत  धीमा  पड़ने  लगा  और  इसी  बीच  उसे  फ़िर  कुत्तों  के  भौंकने  की  आवाजें  सुनाई  दी ।  गौतम  पहले  से  परेशान  था  और  कुत्तों  की  आवाज़  सुनते  ही  वो  बीना  सोचे-समझे  उस  ओर  चल  पड़ा ।  थोड़ा  आगे  एक  सुनसान  रास्ते  तक  पहुंचते  ही  उसने  एक  जोड़े  को  देखा ।  सफेद  शर्ट - पजामा  और  लाल  साड़ी  पहने  वो  दोनों  पति - पत्नी  गौतम  से  दूर  खड़े  थे  और  उनके  शरीर  एक  अजीब  सी  सफेद  रोशनी  में  चमक  रहे  थे ।  गौतम  के  वहां  पहुंचते  ही  वो  दोनों  अचानक  एक  ही  पल  में  गौतम  के  सामने  प्रगट  हो  गए ।  गौतम  उन्हें  देखकर  काफी  हैरान  था ।  पर  उनके  चेहरों  पर  एक  सुकून  की  मुस्कुराहट  थी ।  और  उन्होंने  कहा,  'मेरा  नाम  चिराग  और  ये  मेरी  पत्नी  मीनाक्षी  है ।  हमें  तुमसे  कोई  शिकायत  नहीं ।  लेकिन  हमें  दुःख  है  कि,  हमें  मेरे  बूढ़े  पिताजी,  एक  कवारी  बहन  और  हमारे  छोटे  से  बच्चे  को  छोड़कर  जाना  पड़ा ।  लेकिन  हमारी  गुज़ारिश  है  कि,  तुम  हमारा  ये  संदेश  मेरे  पिताजी  तक  ज़रूर  पहुंचना  कि  'उनका  ये  बेटा  मरने  के  बाद  भी  उनकी  सुरक्षा  करना  नहीं  भूला ।  मेरे  बाद  उन्हें  अपनी  ज़िंदगी  जीने  में,  बहन  की  शादी  में  और  उनके  पौते  को  पालने  में  कोई  परेशानी  नहीं  आएगी ।  वो  बस  मेरी  अलमारी  में  पीछे  की  ओर  रखी  सफेद  फाईल  के  कागज़ात  हमारे  मैनेजर  मिस्टर.  प्रकाश  झा  को  दिखा  दे ।  उसके  वो  सब  संभाल  लेंगे ।'  उन  दोनों  की  ये  बातें  सुनकर  गौतम  काफ़ी  जज़्बाती  हो  गया ।  उसने  उन  दोनों  से  वादा  किया  कि,  वो  उनकी  बात  उनके  पिताजी  तक  ज़रूर  पहुंचाएगा ।  इसके  अगले  वो  दोनों  मुड़कर  आगे  बढ़  गए  और  काल  भैरव  उन्हें  अपने  साथ  लेकर  अदृश्य  हो  गए ।  चिराग  और  मीनाक्षी  की  बातें  सुनने  के  बाद  गौतम  गहराई  से  ख़ुद  को  दोषी  समझने  लगा ।  वो  अपनेआप  को  गुनहगार  महसूस  करने  लगा ।  उसके  वो  वापस  अपने  उस  घर  नहीं  जा  पाया,  जहां  उसकी  शादी  का  जश्न  मनाया  जा  रहा  था ।  उसके  बाद  गौतम  ने  एक  बहुत  बड़ा  फैसला  लिया,  इस  शहर  को  और  इस  आम  लोगों  की  शादीशुदा  ज़िंदगी  को  छोड़ने  का ।  जाने  से  पहले  गौतम  ने  तीन  चिट्ठियां  लिखी,  जिसमें  एक  चिठ्ठी  पियाली  के  नाम,  दूसरी  उसके  माँ-बाबा  के  लिए  और  तीसरा  चिराग  के  पिता  के  नाम ।  गौतम  ने  अपने  माँ-बाबा  और  पियाली  के  नाम  लिखी  चिट्ठियों  को  पोस्ट  बॉक्स  में  डाल  दिया  और  चिराग  के  घर  की  ओर  निकल  पड़ा ।  चिराग  के  पिताजी  के  नाम  लिखी  चिट्ठी  उनके  घर  पहुंचाते  ही  गौतम  अपने  अंजान  सफ़र  पर  निकल  पड़ा ।" 
"वो..  कहां  चला  गया ?  और  क्या  गौतम  कभी  वापस  नहीं  आया ?!"  मेरी  परेशानी  भरी  हल्की  कंपन  भरी  आवाज़  सुनते  ही  चंद्र  ने  मेरी  तरफ  देखा ।
"नहीं ।  लेकिन  जब  उसके  माँ-बाबा  और  पियाली  को  गौतम  की  चिट्ठियां  मिली  तो  वो  सब  बहुत  परेशान  हुए ।  उन्हें  इस  बात  का  बहुत  ही  ज़्यादा  दुःख  हुआ  कि,  उनका  एक  लौता  जवान  बेटा  उन्हें  कुछ  भी  बताए  बिना  उन्हें  छोड़कर  चला  गया ।  वो  यक़ीन  ही  नहीं  कर  पाए  कि,  गौतम  ऐसा  कर  सकता  है ।  गौतम  के  माँ-बाबा  ने  उसे  ढूंढने  की  बहुत  कोशिश  की ।  कई  महिने  गुज़र  गए  लेकिन  पियाली  गौतम  को  नहीं  भूल  पायी ।  वो  हर  दिन  उस  जगह  जाकर  गौतम  का  इंतज़ार  करती,  जहां  वो  रोज़  मिलते  थे ।  पर  पियाली  का  इंतजार  कभी  ख़त्म  नहीं  हुआ ।  वो  कभी  वापस  नहीं  लौटा ।"  चंद्र  के  कहे  वो  शब्द  मेरे  मन  में  पूरी  तरह  गूंज  उठे ।  और  मैंने  अपने  बाये  गाल  पर  नमी  महसूस  की ।
अपना  हाथ  उठाकर  आंसू  दूर  करते  ही,  "पलक ?  तुम  ठीक  तो  हो ?"  चंद्र  के  पलटते  ही  उसकी  नज़रे  मुझ  पर  पड़ी ।
"हाँ ।"  चंद्र  की  तरफ  देखते  ही,  "लेकिन...  ये  बिल्कुल  भी  ठीक  नहीं  हुआ  कि  नियति  की  चक्की  में  पीसकर  वो  सब  लोग  बेचारे..  बेमौत  मारे  गए ।  शायद  गौतम  भी  इसी  कारण  खुद  को  मांफ  नहीं  कर  पाया ।"  मैंने  धीमे  से  कहा ।
मेरी  आवाज़  में  हल्की  सी  कंपन  थी ।  मैं  कितनी  भी  स्ट्रोंग  बनने  की  कोशिश  क्यों  ना  करूँ ।  लेकिन  मैं  कब  चंद्र  की  कहानी  में  गहराई  तक  बहती  चली  गई  मुझे  होश  ही  नहीं  रहा ।  मैं  उन  लोगों  के  दर्द  को  उनकी  तड़प  को  महसूस  कर  पा  रही  थी ।  और  इस  बात  से  मैं  काफ़ी  परेशान  थी ।
"समय  और  नियति  के  आगे  किसी  बस  नहीं  चलता ।  अगर  इंसान  कुछ  पाता  है  तो  उसी  वक़्त  उसे  कुछ  खोना  पड़ता  है ।"  चंद्र  ने  मेरी  तरफ़  देखकर  गंभीर  आवाज़  में  कहा  और  मैंने  सहमति  में  धीमे  से  सर  झुकाया ।
"चंद्र.."  इससे  पहले  की  मैं  चंद्र  से  कुछ  कहे  पाती,  "मुझे  लगता  अब  तुम्हें  आराम  करना  चाहिए ।  काफ़ी  देर  हो  चुकी  है ।"  उससे  मुझे  टोक  दिया ।  और  चंद्र  की  बात  सुनते  ही  मेरी  बेचैन  नज़रे  उस  पर  उठ  गई ।
पता  नहीं  क्यूँ  पर  अकेलेपन  का  डर  अब  भी  मुझे  डरा  देता ।  चाहें  मुझे  होल  में  सोफा  पर  ही  क्यों  न  सोना  पड़े ।  पर  मैं  चंद्र  की  नज़रों  से  दूर  नहीं  जाना  चाहती ।  और  नाहीं  मैं  चंद्र  को  अपनी  नज़रों  से  ओझल  होने  देना  चाहती  थी ।
"डरो  मत ।  जब  तक  तुम  सो  नहीं  जाती  तब  तक  मैं  कहीं  नहीं  जाऊंगा ।"  मेरी  ओर  देखते  ही  चंद्र  ने  धीमे  से  कहा ।
उसके  बाद  मैं  बिना  किसी  हिचकिचाहट  के  ऊपर  के  कमरे  में  सोने  चली  गई ।
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1.  तो आपको क्या लगता है, क्या है जो पलक को हर बार परेशान कर देता है ?
2. क्या पलक इन कहानी में छिपी गहराई समझ पाएगी ?
3. क्या चंद्र पलक को उसके डर से आज़ाद कर पाएगा ?

 क्या चंद्र पलक को उसके डर से आज़ाद कर पाएगा ?

ओह! यह छवि हमारे सामग्री दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है। प्रकाशन जारी रखने के लिए, कृपया इसे हटा दें या कोई भिन्न छवि अपलोड करें।

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Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndiaजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें