शाम 6 : 30 बजे ।
शाम को ऑफ़िस का समय ख़त्म होते ही सलोनी ने मुझे महल तक छोड़ा और अपने घर चली गई ।
हर रोझ मैं जिस जगह से डरकर दूर भागती उसी जगह पर एक बार फिर मैं बिल्कुल अकेली थी । और ऐसे में जब भी मुझे डर लगता मैं अपने बाबा की सिखाई बातों को याद करके इन हादसों को भूलाने की कोशिश करती ।
लेकिन, पिछले दो दिनों में ये सभी हादसे इतने ज्यादा बढ़ चूकें थे कि मुझे उन डरावनी यादों से बाहर निकलने का समय ही नहीं मिल पा रहा था । कई सारी डरावनी चीज़ें मेरे साथ बार-बार और लगातार होती जा रही थी, जिस वजह से मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो चूकी थी ।
जब तक मेरे साथ हुए एक हादसे को मैं भूलाने की कोशिश करती तब तक मेरे साथ एक और घटना घट जाती । इसी वजह से मैं अंदर से पूरी तरह से टूट चूकी थी । मैं बहुत ही ज्यादा डरी हुई थी और बिल्कुल अकेली पड़ चूकी थी । इसी वजह से अब मुझे अपने लिए कुछ भी करने की या जीने कू कोई इच्छा नहीं बची थी ।
मैं ऑफ़िस से लौट आई थी । लेकिन मेरे लिए कुछ पल यहां रुकना भी मुश्किल हो रहा था । मगर पूरे दिन लगातार हुए उन ख़ौफ़नाक हादसों की परेशानियों को संभालते हुए मैं बहुत ही ज्यादा थक चूकी थी । इसलिए मैं डरते हुए ही सही मगर ऊपरवाले कमरे तक पहुँची ।
मैं थकान की वजह से बहुत ही ज्यादा कमज़ोरी महसूस कर रही थी । और काफ़ी परेशान हो चूकी थी । इसलिए बिस्तर पर पड़ते ही मुझे नींद आ गई ।रात 12 : 00 बजे ।
आधी रात में अचानक मुझे मेरा बिस्तर हिलता महसूस हुआ । और मैं डर के मारे झट से अपने बिस्तर से उठकर जल्दी से उससे दूर हो गई ।
तब अगले ही पल खिड़की से बाहर देखते ही, कड़ती हुई बिजली के साथ चल रही तेज़ हवाओ ने मुझे बेचैन कर दिया । और अगले कुछ ही पलों में वहां काफ़ी तेज़ बारिश शुरू हो गई ।
इस तूफ़ानी मौसम और हिलती हुई चीज़ों को देख मुझे महसूस हो गया था कि मेरे साथ फ़िर कुछ बहुत ही बड़ी और ख़तरनाक़ घटना घटनेवाली थी ।
इस खौफ़नाक सन्नाटे में मेरा चैन छीन लिया । मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गयी और डर के कारण मेरे माथे से ठंडा पसीना बहने लगा ।
अगले ही पल अचानक एक-एक करके वहां की हर एक चीज़ें हिलना शुरू हो गई और खिड़कियाँ बंध होने के बावजूद कमरे में तूफ़ानी हवाऐं बहने लगी । इसी के साथ कमरे की दीवारों पर वहीं लाल अक्षरों में लिखी वही डरावनी चेतावनियाँ उभरने लगी । जिसमें लिखा था कि, 'ये तुम्हारा आख़िरी मौक़ा है । यहां से निकल जाओ । वरना आज तुम्हारी मौत तय है ।'
इन घटनाओं के साथ मेरा वहम; मेरा डर सच साबित होने लगा ।
उस लिखावट के पढ़ते ही वहां की सभी खिड़कियाँ और दरवाज़े ज़ोरदार ढंग से अपनेआप खुलने-बंध होने लगे । और, उसी वक्त.. अपने पीछे किसी के होने का एहसास होते ही मैंने डर से कांपते हुए पीछे मुड़कर देखा ।
वो.. मेरे पीछे; बेलकनि के दरवाज़े के पास ही खड़ा था । लेकिन हर बार की तरह मैं उसे ठिकसे देख नहीं पा रही थी । वो देखने में बिल्कुल कोहरे से घीरे किसी आईने में पड़ती काली परछाईं की तरह था, जिसे देखकर बस यही कहा जा सकता था कि वहां कोई है । लेकिन.. ये जान पाना बहुत मुश्किल था कि वो कौन है ।
मेरे मुड़ते ही उसकी नज़रें मुझ पर पड़ते ही वो धीमे कदमों से मेरी तरफ़ बढ़ने लगा । उसे अपनी तरफ़ बढ़ते देख मैं बहुत ही ज़्यादा डर गई । मगर इस बार मैं बिना कुछ सोचे तेज़ी से कमरे से बहार दौड़ पड़ी ।
बाहर रखी सभी चीज़ों के हिलने के साथ वहां पर भी तेज़ हवाएँ चल रही थी । मगर वो.. मेरे पीछे नही था । इस बात से मेरा डर कुछ कम हुआ और मैं भागकर सीढ़ियों से उतरते हुए नीचे होल तक जा पहुँची ।
तभी मेरे नीचे पहुँचते ही वहां की सभी खिड़कियाँ और दरवाज़े भी ज़ोर की आवाज़ के साथ खुलने-बंध होने लगे । साथ ही वहां के झूमर और चारों तरफ़ लगी लाइटें जलन-बूझने लगी ।
वो सारी घटनाऐं और वो किस्से मेरे लिए इतने ज़्यादा डरावने और ख़ौफ़नाक बन चूके थे कि उस वक्त मरने के सिवा मुझे कोई और कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था । लेकिन फ़िर भी मैंने यहां से बाहर जाने की एक औऱ कोशिश की ।
मैं तेज़ी से दौड़ते हुए दरवाज़े के पास पहुँची । लेकिन मेरे दरवाज़े के पास जाते ही वो दरवाज़ा बंध हो गया । और तभी अचानक मैंने अपनी दाई तरफ़ से उसको अपनी तरफ़ बढ़ते देखा । मुझे लगा था कि मैंने उसे पीछे छोड़ दिया । मगर ऐसा.. बिल्कुल भी नहीं था । वो तो हर जगह मेरा पीछाकर सकता था और वो वहीं कर रहा था ।
उसे अपनी तरफ़ फ़िर बढ़ता देख मैं बहुत परेशान हो गई । मुझे उस वक्त समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ !? इसलिए कुछ भी सोचे बग़ैर मैं फ़िर सीढ़ियों की ओर दौड़ पड़ी । वहां से गुज़रते हुए मैं एक बार फ़िर उसी ऊपरवाले कमरे तक जा पहुँची ।
उस वक्त डर की बेसुधगी में दौड़ते हुए मैं सीधा आगे बेलकनि केे दरवाज़े तक जा पहुँची, जहाँ से कुछ कदमों की दूरी के बाद मेरे लिये सभी रास्ते ख़त्म हो जाते थे । और इस बात का होश आते ही मैंने अपने कदमों को वही रोकते हुए पीछे मुड़कर देखा ।
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Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndia
Paranormal#1 in Paranormal #1 in Ghost #1 in Indian Author #1 in Thriller #WattpadIndiaAwards2019 #RisingStarAward 2017 ये कहानी 'प्यार की ये एक कहानी' से प्रेरित ज़रूर है, लेकिन ये उससे बिल्कुल अलग है। कहते हैं कि सच्चा प्यार इंसानी शरीर से नहीं बल्कि रूह...