Hello Guys,
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Love, B. Talekar 💞
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रात 9 : 00 बजे ।
ऑफ़िस से लौटने के बाद मैंने कित्चन का और दूसरा सारा काम जल्दी से ख़त्म कर लिया था, जिससे अब मैं बिना किसी रूकावट के चंद्र से बात कर सकती थी; उसकी कहानी सुन सकती थी ।
अपने काम ख़त्म करने के बाद मैं हॉल में बैठे हुए चंद्र का इन्तजार कर रही थी । पर अब तक उसका कोई पता नहीं था ।
ऑफ़िस से लौटने के बाद आज एक भी बार मैंने उसे नहीं देखा था । पता नहीं वो कहाँ चला गया था ।
"कुछ सोच रही हो ?" अचानक उसकी आवाज़ सुनते ही मेरे होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई ।
उसकी ओर पलटते ही, "हाँ, मैं बस.. तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी । आज तुमने आने में इतना समय क्यूँ लगा दिया ?" मैंने धीमे से कहा और उसे देखते ही अचानक शर्म से मेरी पलकें झुक गयी, जिसकी वजह मैं ख़ुद नहीं जानती थी ।
तब अचानक उसके चेहरे पर अनदेखी मुस्कान उभर आयी, "मैं जानता था कि, आज पूरी कहानी सुने बगैर तुम शांत नहीं रहोगी । इसी वजह से तुमने अपने सारे काम तेज़ी से ख़त्म कर लिए ।" और मेरी ओर देखते हुए, "और मैं तुम्हें परेशान नहीं करना चाहता था ।" उसने धीमे से कहा ।
चंद्र का जवाब सुनते ही फ़िर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई । मगर उसकी बातों ने मुझे बिल्कुल चौका दिया । क्योंकि उसका हर एक शब्द सच था ।
अपनी डायरी उठाते ही, "अब मैं आगे की कहानी सुनने के लिए तैयार हूँ ।" आगे की कहानी सुनाने के लिए मैंने चंद्र से गुज़ारीश की ।
"ठीक है तो सुनो ।" चंद्र ने फ़िर कहानी की शुरुआत करते हुए, "गौतम के आईं-बाबा गौतम को लेकर बहुत परेशान थे । कई डॉक्टर्स को दिखाने के बाद भी उसके बार-बार रोने की वजह का पता नहीं चल पाया । सभी डॉक्टर्स उसकी बीमारी नहीं जान पाए ।" चंद्र ने कहा, "हंम.. जानते भी कैसे । उसे कोई बीमारी थी ही नहीं ।" और अचानक उसके चेहरे पर पहेली नुमा मुस्कान आ गई ।
"क्या.. गौतम को कोई बीमारी थी ही नहीं ! तो फ़िर उसके रोने की क्या वजह थी ।" चंद्र की बात सुनते ही हैरानी में मेरे मुंह निकल गया ।
"करुणा और प्रकाश भी इस बात से काफ़ी परेशान थे । उन्हें अपने बेटे की बहुत चिंता होने लगी । वो गौतम को डॉक्टर्स के पास ले जाकर थक चुके थे । पर उन्हें कोई समाधान नहीं मिला । ऐसे में उन्हें आस्था का सहारा नज़र आया । वो गौतम को लेकर अपने इष्ट देवता; महादेव के पास गए । वहां जाने पर उनकी मुलाकात एक साधू बाबा से हुई । प्रकाश और करुणा ने उन्हें अपनी सारी परेशानी बताई । उन दोनों की बातें सुनने के बाद साधू बाबा ने नन्हे गौतम के सर पर हाथ रखा और अपनी आंखें बंद कर के प्राथना की । उनके ऐसा करते ही गौतम अचानक शांत हो गया । उसका रोना बंद हो गया । समय के साथ धीरे-धीरे गौतम बिल्कुल आम बच्चों की तरह हंसने-खेलने लगा । कुछ सालों बाद प्रकाश का ट्रासफ़र दुसरे शहर में होने से उन्होंने अपना पुराना घर छोड़ दिया । गुज़रते हुए वक़्त के साथ करुणा और प्रकाश गौतम के बचपन की बातें पूरी तरह भूल गए । गौतम अपनी स्कूल और फ़िर कॉलेज की ज़िंदगी में खो गया । पर उन दिनों में भी वो लोगों से ज़्यादा घुलमिल नहीं पाता । गौतम कॉलेज के सेकंड यर में था । तभी उनके कॉलेज में पीयाली आयी । पीयाली को पहली बार देखते ही गौतम उसे पसंद करने लगा ।" चंद्र ने कहानी को जारी रंखा ।
चंद्र बिना रुके मुझे कहानी सुना रहा था । और मैं पूरी तरह उसकी कहानी में खोकर उसके कहे शब्दों को अपनी डायरी के पन्नों पर उतार रही थी ।
"पीयाली एक खूबसूरत और समझदार लड़की थी । वो पढ़ाई और खेल दोनों में गौतम जितनी ही होशियार थी । वो कॉलेज में बस अपनी पढ़ाई करने आती थी । उसे दूसरों से कोई मतलब था । लेकिन गौतम... वो तो बस किसी तरह पीयाली से बात करना चाहता था । उससे दोस्ती करना चाहता । और एक दिन उसे ये मौका मिल ही गया । उस दिन गौतम अपने किसी काम के लिए जा रहा था । तभी रास्ते में उसने पीयाली को कहीं जाते देखा । वो उसके पीछे जाने के लिए मुड़ा ही था कि, तभी उसकी नज़रे एक बड़े से ट्रक पर पड़ी, जो ख़तरनाक रफ़्तार से पीयाली की ओर बढ़ रही थी । उसकी ओर जाते हुए गौतम ने पीयाली को बहुत आवाज़ लगाई पर ट्रैफिक के शोर-शराबे में पीयाली कुछ नहीं सुन पायी । तब आख़िरकार पीयाली की जान बचाने के लिए गौतम ने ट्रक के सामने छलांग लगा दी और पीयाली को धक्का देते हुए उसे दूर कर दिया । पर गौतम..." चंद्र ने कहानी सुनाते हुए कहा ।
लेकिन मैं चंद्र की कहानी सुनते हुए उसकी कहानी में शामिल होती गयी ।
तब चंद्र की बात सुनते ही, "क्या हुआ गौतम को ?!" मैं परेशान हो गई ।
"उसे कुछ नहीं हुआ ।" मेरी तरफ़ मुड़ते ही चंद्र ने कहा ।
"पीयाली और गौतम दोनों रास्ते के किनारे गिर गए । उनके हाथ-पैरो पर बस कुछ खरोचे आयी । वो ट्रक करीब-करीब उन्हें छूकर, उनके नजदीक से गुज़र गया । मानों उनकी मौत उन्हें छूकर गुज़र गई थी । लेकिन गौतम ने अपने साथ पीयाली को भी बचा लिया ।" मुझे ये जानकर सुकून मिला कि, वो दोनों सही-सलामत थे ।
"पलक ?" अचानक मैंने चंद्र को पुकारते सुना, "पलक तुम ठीक तो हो ? क्या हुआ तुम्हें ?" कहानी के बीच अचानक चंद्र के इस सवाल ने मुझे उलझन में डाल दिया ।
चंद्र की तरफ़ देखते हुए, "मैं ? मैं बिल्कुल ठीक हूँ । मुझे क्या हो सकता है ।" मैंने लापरवाही से बात को टाल दिया ।
"तो फ़िर तुम्हारी आंखों में ये आंसू कैसे ?" चंद्र के इन शब्दों को सुनते ही मैंने अपनी आंखों को छूकर देखा ।
चंद्र की बात सच थी । मैं हैरान थी कि, मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे । लेकिन मुझे पता ही नहीं चला कि, कहानी सुनते हुए कब मैं इतनी ज्यादा जज़्बाती हो गई ।
"पलक, क्या तुम सच में इन पारलौकिक चीजों के बारे मैं जानने के लिए तैयार हो ?" मुझे परेशान देखते ही चंद्र मेरे पास आया, "एक बार फ़िर सोच लो । ये बातें तुम्हें नुकसान पहुंचा सकती है ।" और मेरी फ़िक्र करते हुए उसने फ़िर मुझे रोकना चाहा ।
"हाँ चंद्र, मैं बिलकुल ठीक हूँ ।" चंद्र की तरफ़ देखकर, "मैं तैयार और मुझे यकीन है कि तुम्हारे साथ होते हुए मुझे कुछ नहीं होगा ।" मैंने यकीन से कहा । और मेरे कहते ही चंद्र के होठों पर सुकून भरी मुस्कान आ गई ।
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Do you like Goutam & Piyali?
And can you guess what is Goutam, and how will Palak react after knowing Goutam's the truth ?
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Asmbhav - The Mystery of Unknown Love (1St Edition) #YourStoryIndia
Paranormal#1 in Paranormal #1 in Ghost #1 in Indian Author #1 in Thriller #WattpadIndiaAwards2019 #RisingStarAward 2017 ये कहानी 'प्यार की ये एक कहानी' से प्रेरित ज़रूर है, लेकिन ये उससे बिल्कुल अलग है। कहते हैं कि सच्चा प्यार इंसानी शरीर से नहीं बल्कि रूह...