Chapter 17 - Chandra (part 2)

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Hello Guys, Here I am back with another one of the long lasting chapter. I hope you will enjoy this chapter. Don't forget to share your feedback and expression.
Note :- Often we experience some weird and unexplainable things in our lives. We got scared or amazed by that experience. Even then we feel uneasy or stupid to share it with anyone. So here is your chance to share your fearful, scary experience with me in 'Chapter's comment box'. And I will share their stories in my Upcoming short scary stories book on wattpad. Just share your story by hashtag #MyAsmbhavMomemt
And special Thanks to one of my sweet friend and reader coolpiyashree who shared her personal weird experience with me. And by knowing her story, I got this thought. So what is your Asmbhav moment?
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"हाँ, संगीत ।" अपनी पलकें उठाकर उसकी ओर देखते ही, "सेंराट और उसके तीन दोस्त; हरून, जिया और कौशिक पेरासाइकोलॉजी और पेरानॉर्मल सायंश के स्टूडंट्स थे ।" मैंने कहानी की शुरूआत करते हुए कहा ।
कहानी कहते हुए मैं ज़्यादातर पलक के इर्द-गिर्द चक्कर काटता रहता । जिससे हम एक दूसरे से ज़्यादा नज़रें ना मिला पाए । और मैं पलक की तरफ अपने बढ़ते हुए खिंचाव को रोक पाऊं ।
कहानी आगे बढ़ाते हुए, "सेंराट पेरानोर्मल एक्टिव, अलौकिक शक्तियाँ या सीधे शब्दों में कहे तो भूत-प्रेत वग़ैरह में बिल्कुल नहीं मानता था । उसका मानना था कि आत्मा, भूत-प्रेत और अलौकिक गतिविधियां ये सब दकियानूसी बातें हैं । इन सबका असल ज़िंदगी में कोई अस्तित्व नहीं । और ये सारे लोगों के भ्रम है । लेकिन सेंराट के बाबा एक बहुत बड़े पेरानोर्मल एक्सपर्ट थे । और उन्होंने अपनी ज़िंदगी में ऐसी कई चीज़ों का सामना किया था, जो शायद ही किसी इंसान को समझ आए । वो इस बात को समझते थे कि, उनके बाद कोई तो ऐसा हो जो लोगों को इस तरह की मुसीबत से आज़ादी दिला सके । और इसी लिए कड़े विरोध के बावजूद सेंराट को पेरानोर्मल कॉलेज भेज दिया गया । वो वहां नहीं रहना चाहता था । पर फ़िर उसकी मुलाकात हरून से हुई, जो इन चीजों को लेकर काफी गंभीर था । हरून काफ़ी समझदार और सीधा-सादा लड़का था । वो सेंराट की परेशानी समझता था । इसी लिए उसने कभी सेंराट को किसी बात के लिए फोर्स नहीं किया । और इस तरह उनके दोस्ती की शुरुआत हुई । इसी दौरान उनके कॉलेज में जिया और कौशिक आए । सेंराट जिया को देखते ही उसे पसंद करने लगा । मगर कौशिक पहले से जिया को चाहता था और वो दोनों बचपन के दोस्त थे । जिया को लेकर सेंराट और कौशिक में काफ़ी झगड़े भी हुए । लेकिन जब सेंराट को पता चला कि, 'वो दोनों बचपन से साथ है,' तो वो जिया के लिए अपनी चाहत को दबा कर पीछे हट गया । और धीरे-धीरे उन चारों में गहरी दोस्ती हो गई ।" मैंने कहना जारी रखा ।
पलक मेरी बातों को बिना किसी सवाल या रोक-टोक के लगातार सुन रही थी । और मेरे हर एक शब्द को ध्यान से अपनी डायरी में उतार रही थी ।
"अगर किसी इंसान को अपकी मर्जी के खिलाफ कोई काम करना पड़े तो उससे ज़्यादा परेशानी की बात और क्या हो सकती है ! " गहरी सोच के बीच पलक धीमे से गुसफूसायी ।
पलक के उन गहरे उदासीन शब्दों में, "सच कहा, तुमने ।" मैं भी अपने अतीत की झलक पाकर बोल गया ।
पर अगले ही पल, "लेकिन अपनी मर्जी ना होने के बावजूद अच्छे दोस्त और अपने प्यार से दूर ना जा पाने के कारण सेंराट ने उसी कॉलेज में रहने का मन बना लिया । और इतना ही नहीं अलौकिक दूनिया में विश्वास ना होते हुए भी वो अपनी पढ़ाई में सबसे अच्छा था । सेंराट इस बात से वाकिफ़ हो या ना हो, लेकिन उसके बाबा की ही तरह सेंराट में इन शक्तियों को पहनाने की ख़ूबी उसके जन्म से ही थी । या यूं कहें कि, ये ख़ूबी उसे अपने बाबा से विरासत में मिली थी ।" मैंने कहानी को जारी रखा ।
"लेकिन अगर सेंराट पारलौकिक शक्तियों में विश्वास ही नहीं रखता था तो वो इन चीज़ों की पढ़ाई में इतना माहिर कैसे हो सकता था ?!" सेंराट के इस अनोखे हुनर को जानकर पलक हैरत में थी ।
कहानी के बीच पलक का सवाल सुनते ही, "क्योंकि, कोई माने या ना माने लेकिन अलौकिक और पारलौकिक दूनिया का भी अपना एक विज्ञान, एक सायंश होता है । उस दुनिया के भी अपने कुछ नियम, कुछ कानून होते हैं । हालांकि आम इंसानों के लिए उन नियमों को समझ पाना या जान पाना उनके बस में नहीं । लेकिन सेंराट इस हक़ीकत से बेखबर होकर भी पारलौकिक दुनिया के सायंश को अच्छी तरह समझता था । इसीलिए पारलौकिक दुनिया में विश्वास ना करते हुए भी वो पारलौकिक गतिविधियों को काफी बारीकी से जान लेता था ।" मेरी नज़रें उस पर उठ गयी और मैंने उसकी जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा ।
चंद्र की बातों पर गहराई से सोच-विचार करते हुए, "इसका मतलब सेंराट में इन चीज़ों से संपर्क करने की काबिलियत स्वाभाविक रूप से मौजूद थी !?" पलक ने धीमे से कहा ।
"हां । उन चारों दोस्तों के बीच सब कुछ ठीक चल रहा था । लेकिन ऐसे में एक दिन सेंराट काफ़ी परेशान हो गया ।" कहते हुए मैं अचानक एक पल के लिए सेंराट के साथ घटी घटनाओं के बारे में सोचकर खामोश हो गया ।
"ऐसा क्या हुआ उसके साथ ?" पलक के बेसब्र होकर सवाल करते ही मैं अपनी सोच से बाहर चला आया ।
"तो सुनो । 'उस दिन सभी क्लासरूम में थे और सभी स्टूडेंट्स को अपने-अपने प्रोजेक्ट सब्मीट करने थे । बाक़ी लोगों की तरह हरून, जिया और कौशिक भी अपने प्रोजेक्ट सब्मीट करने मैडम के पास पहुंचे । उन्हीं के पीछे सेंराट भी अपनी प्रोजेक्ट फाईल मैडम को देने पहुंचा । मगर जैसे ही मैडम के टेबल पर फाईल रखकर वो जाने के लिए मुड़ा तो मैडम ने उसे रोक लिया । और उन्होंने, 'द डेटली म्यूज़िक ! बहुत अच्छे, सेंराट । तुम्हारे प्रोजेक्ट का थीम काफ़ी इट्रस्टींग है । मुझे यकीन है तुमने इस पर काफ़ी रिसर्च की होगी ।' सेंराट के काम की तारीफ करते हुए कहा । लेकिन सेंराट की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी । इसलिए वो उनका शुक्रियादा करते हुए अपनी जगह लौट गया । और तभी उसकी नज़रे जिया पर पड़ी, जो मुश्किल से अपनी हंसी दबाए बैठी थी । सेंराट ने उसे हंसता देखकर भी इस बात को नज़रअंदाज़ कर दिया । उसके कुछ समय बाद छुट्टी होते ही चारों दोस्त कॉलेज की कैंटीन में पहुंचे, जहां दोपहर के बाद हमेशा धीमा और खूबसूरत संगीत बजता रहता । और वहां पहुंचते ही जिया ज़ोर से हंस पड़ी । सेंराट ने जिया को हैरत भरी नज़रों से देखा पर वो खामोश ही रहा । तभी कौशिक ने जिया से उसके हंसी की वजह पूछी । 'द डेटली म्यूजिक !!? सेंराट तुम सच्च में बहुत फनी हो । आई मीन, म्यूज़िक भी कभी डेडली हो सकता है !? म्यूज़िक तो काफ़ी ब्यूटीफुल और रोमांटिक होता है । हां, वैसे सही भी है, जिसे प्यार क्या है मालूम ही ना हो तो वो कर भी क्या सकता है ।' जिया ने काफ़ी मुश्किल से रुकने वाली अपनी हंसी के बीच मज़ाक़ में कहा । और उसकी बातें सुनकर सेंराट बिना कुछ कहे वहां से उठकर चला गया । सेंराट को चिड़कर जाते देख जिया को अच्छा नहीं लगा और उसने तुरंत जाकर सेंराट से माफ़ी मांगी, जो कॉलेज ग्राउंड में अकेले बेंच पर मायूस होकर बैठा था । सेंराट ने जिया को माफ़ कर दिया और वो बेफिक्र होकर तुरंत वहां से चली गई । लेकिन सेंराट अब भी उदास था । तभी उसके दोस्त हरून ने आकर उससे बात की, 'जब वो जिया से इतना प्यार करता है । तो उसे बता क्यूँ नहीं देता ?' और इस पर सेंराट ने कहा कि, 'कौशिक और जिया बचपन से साथ है । इसलिए वो उन्हें परेशान नहीं करना चाहता । वो अपने और जिया की दोस्ती में कोई दरार नहीं चाहता । लेकिन अगर जिया उसके प्यार को ख़ुद महसूस कर पाए तो वो उसे अपने दिल की बात बता देगा ।' लेकिन ये बात नामुमकिन के जैसी थी । और इन दोनों दोस्तों की बात छुपकर सुनते हुए कौशिक काफ़ी परेशान हो रहा था ।" मैं बीना रूके कहानी कहता चला गया ।
"कौशिक और जिया बचपन से साथ थे । लेकिन क्या.. जिया सच में कौशिक से सच्चा प्यार करती थी ?" अपने सोच के बीच पलक की धीमी आवाज़ कानों में पड़ते ही मैंने मुड़कर उसकी ओर देखा ।
पलक के पास जाते ही, "नहीं उन दोनों के बीच दोस्ती से ऊपर कोई रिश्ता नहीं था ।" मैंने कहा ।
"क्या !? तो फ़िर सेंराट ने क्यूँ अपने दिल की बात होठों पर नहीं आने दी और ख़ामोश रहकर क्यूँ ख़ुद को तकलीफ़ देता रहा ?! " पलक ने परेशान होकर जानना चाहा ।
"ये सब कौशिक ने जानबूझकर किया था । ताकि उसके और जिया के बीच कोई ना आ पाए । कौशिक जिया को पसंद करता था । लेकिन उसने जिया के सामने इस बात का इज़हार नहीं किया था । मगर इसके बावजूद उसने सेंराट को अंधेरे में रखा । उसके कुछ दिनों बाद कॉलेज में से सभी स्टूडेंट्स को अपने-अपने प्रोजेक्ट के टॉपिक पर रिसर्च करने अलग-अलग जगहों पर भेजा गया । जिस दौरान दस स्टूडेंट्स को एक छोटे से गांव 'कौसंबा' भेजा गया, जिनमें सेंराट, हरून, जिया और कौशिक भी मौजूद थे । उन सभी का रहने का इंतजाम गांव के एक छोटे से होटल में किया गया । अगले दिन उन सभी को गांव वालों से बातचीत कर वहां से कुछ अजीबोगरीब वाक्या के बारे में पता चला । आसपास के लोगों ने बताया कि, 'उनके गांव में कभी-कभार अचानक से सुरीला संगीत सुनाई देने लगता । और उस संगीत को सुनने वाला पूरी तरह मंत्रमुग्ध होकर उस संगीत का पीछा करने लगता । और उस संगीत के पीछे जाने वाला इंसान कहां चला जाता या उसका क्या होता ये आज तक कोई नहीं जान पाया । जो भी उस संगीत के पीछे गया वो ख़ुद एक रहस्य बनकर रह गया ।' कुछ समय गांव वालों से बातचीत करने के बाद सभी लोग उन किस्सों को अफवाहें जानकर घूमने-फिरने निकल पड़े । लेकिन सेंराट इस रहस्य को गहराई से समझने के लिए उतावला हो रहा था । और वो अकेले ही पल इस बारे में पता लगाने निकल पड़ा । वहीं सेंराट की ज़िद देखकर हरून, जिया और कौशिक भी उसके पीछे चल पड़े । लेकिन काफ़ी लोगों से बात करने के बाद भी सेंराट को सुकून भरा जवाब नहीं मिला । आख़िरकार थक हारकर वो एक चाय वाले के पास जाकर रुके । 'बस.. अब मैं बहुत थक गया हूँ, मेरे भाई । मुझे चाय पीनी है । भैया, प्लीज़ चार स्पेशल चाय देना ।' हरून सेंराट के चक्कर में भटकते हुए परेशान हो गया था । और इससे पहले कि, सेंराट उससे आगे बढ़ने को कहता वो जल्दबाज़ी में चाय के लिए कहकर वहीं बैठ गया । और हरून के कारण मजबूरन सभी को बैठना पड़ा ।" कहानी कहते हुए मेरी नज़रें फिर पलक पर गई, जो अब थकान महसूस करने लगी थी ।
पलक की आंखों में नींद भरने लगी थी और उसके हाथ की लिखावट धीमी पड़ने लगी थी । लेकिन इसके बावजूद वो मुझे रोकने को राज़ी नहीं थी ।
"पर.. सेंराट क्या जानना चाहता था ?" इतनी थकान के बावजूद वो आगे की कहानी जानने के लिए बेसब्र थी ।
हल्की मुस्कुराहट के साथ उसकी तरफ देखते हुए, "सेंराट के दोस्त भी यहीं जानना चाहते थे । लेकिन वो उन्हें ठीक से समझा नहीं पाया । और आख़िरकार सेंराट का पागलपन देखकर कौशिक चीड़ गया । 'इतना कुछ जानने के बाद अब क्या बचा है ?! आख़िर तुम पागलों की तरह हमें घूमा क्यों रहे हो ?' कौशिक ने चीड़ते हुए सवाल उठाया । 'आख़िरकार तु जानना क्या चाहता है, मेरे भाई ? हमें कुछ तो बता ।' हरून के सवाल करते ही जिया ने भी इसी सवाल का जवाब पाने की मर्जी जताई । तब सेंराट ने कहा कि, 'ज़्यादातर लोगों ने अपने साथ घटी घटना या वहीं कही-सुनी बातें दोहराई, जो वो पहले ही सुन चुके थे । मगर कोई भी ये नहीं बता पाया कि, ये सब शुरू कैसे हुआ । और किसकी वजह से शुरू हुआ । इसके पीछे क्या कारण था ।' और तब सेंराट की बातें सुनकर उसके दोस्त दंग रह गए ।" पलक के जवाब में कहा ।
"'तो आप उस जानलेवा संगीत के बारे में जानना चाहतें हैं ?" उन चारों की बाते सुनते ही चाय वाले ने कहा और उनके हाथों में चाय के ग्लास पकड़ाये । 'हां, हम उस संगीत का इतिहास जानना चाहते हैं ।' हरून की बात पर चाय वाले ने कहा । 'देखिए बाबूजी, इस संगीत का रहस्य करीबन ढ़ाई सौ साल पुराना है । और इस बारे में ज़्यादा जानकारी आपको सिर्फ कांजी राम काका बता सकते हैं ।' और उसके बाद उन चारों ने कांजी राम काका के पास ले जाने की मांग की ।
"क्या.. कांजी राम काका से सेंराट को उसके सवालों के जवाब मिले ?" पलक ने अपनी नींद को भुलाते हुए बिल्कुल धीमी आवाज़ में सवाल किया ।
पलक का मन लगातार अपने सभी सवालों के जवाब खोजना चाहता था । लेकिन वो भूल रही थी कि, उसके शरीर को आराम की ज़रूरत थी । पलक ने अपने दोनों हाथों को एक ओर सोफा पर रखते हुए अपना सर दोनों हाथों के बीच आगे की ओर झुका लिया था । ना चाहते हुए भी उसकी पलकें बंद होने लगी थी । लेकिन फिर भी मेरी आवाज़ सुनकर वो अपनी थकान भरी नज़रों से मुझे देख रही थी ।
"हां, उन्हें बहुत कुछ पता चला । लेकिन वो सब मैं तुम्हें कल बताऊंगा । अब तुम्हें सो जाना चाहिए ।" पलक की ओर पलटते ही मैं उसके पास गया ।
"तुम सही कहे रहे हो । शुक्रिया ।" बिना किसी सवाल के पलक ने मेरी बात मान ली और होल की सारी लाइट वग़ैरह बंद करते ही पलक अपने कमरे में सोने चली गई ।
अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए उसने दो-तीन बार मुड़कर मुझे देखा । और उसकी खामोशी को समझते हुए मैं भी पलक के साथ उसके कमरे तक गया ।
मैं वहीं उसके बिस्तर के सामने खड़ा था । अपना कंबल ओढ़ कर बिस्तर पर लेटत ही पलक ने पलटकर मेरी ओर देखा । उसके होठों पर हल्की सी उम्मीद भरी मुस्कान फैली थी, जिसे देखकर मेरे चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ गई । हमारे बीच एक सुकून भरी खामोशी फैली थी ।
"चंद्र.. क्या मैं एक बात कहूं ?" पलक के सवाल पर मेरी सहमति मिलते ही, "अगर जिया की जगह मैं होती तो मैं कौशिक को नहीं सेंराट चुनती । किसी.. लड़की को इतना प्यार करने के बावजूद जो लड़का सिर्फ़ उस लड़की की खुशी के ख़ातिर उससे फासला बनाए रखता हो । उसका दिल सच में बहुत अच्छा होगा । वो.. उन सभी से लाखों गुना बेहतर होगा, जो किसी लड़की को प्यार करने पर बस उसे हासिल करना चाहते हैं.." पलक ने गहरी सोच और नींद के बीच फुसफुसा कर कहा ।
काफ़ी मुश्किल से अपने उन शब्दों को कहते ही पलक सो गई । लेकिन उसके वो शब्द एक बार फ़िर मेरे जेहन में घर कर गए । जब उसने कहा कि, 'वो जिया की जगह होती तो सेंराट को चुनती ।' तब अचानक ही मेरे मन में एक आवाज़ गूंजी कि, 'नहीं, पलक । तुम मुझे.. क्यों नहीं चुन सकती ?!' मगर मैं जानता था, ये होना नामुमकिन था । पलक एक जीती जागती लड़की थी और मैं एक कोरा साया था । हमारा साथ होना असंभव था ।
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