वीर सावरकर द्वारा निर्मित भगवा ध्वज

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*आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष* के 75 में वर्ष पर वीर दामोदर सावरकर जैसे महान वीर स्वतंत्रता सेनानियों, बलिदानियों को याद करना हमारे देश का कर्तव्य है।
स्वतंत्र वीर दामोदर सावरकर ने देश के पहले राष्ट्रीय ध्वज को निर्मित करके और उसे वैश्विक पहचान दिलाई। उन्होंने हिंदू प्रतीक के रूप में एक ध्वज दिया, जो हिंदुओं के सम्मान- आत्मरक्षा और अलौकिक शक्ति का परिचायक है।
एक वेष- एक राष्ट्र- एक संस्कृति- एक रक्त- एक बीज- एक इतिहास और एक भविष्य से करोड़ों मानव जाति को व्यक्त करने का प्रतीक है, हिंदू जाति का अप्रतिम- अभिनव हिंदू ध्वज। चैत्र प्रतिपदा को शुरू होने वाले (नव संवत्सर विक्रम संवत) हिंदुओं के लिए नवसृजन है ।
भगवा रंग----- कृपाण व शक्ति से प्राप्त राज्य सामर्थ्य कभी अधर्मी और आतताई लोगों के कलंक से दूषित ना हो, इसलिए झंडे का रंग गौरिक ( भगवा) है। कृपाण----- प्रत्येक धर्म कृपाण की दंड शक्ति के कारण ही सुरक्षित है, इसलिए हिंदू संगठनों के महान ध्वज पर कृपाण अंकित है।
ओंकार युक्त कुंडलिनी----- यह हिंदू जाति का ही नहीं अपितु हिंदू धर्म का भी प्रतीक है।
मूलाधार में सुषुप्त अवस्था में रहने वाली कुंडलिनी योग साधना से जागृत होती है, इसलिए यह वैदिक- सनातन- जैन- सिख- ब्राह्मण- आर्य सहित सभी धर्म को माननीय है, इसलिए इसे ध्वज में अंकित किया गया है।
हिंदुओं की पहचान----- गौरिक (भगवा) ध्वज में स्वतंत्र वीर सावरकर द्वारा अंकित समस्त हिंदू समाज के लिए प्रेरक है! वीरता की पहचान है और सुरक्षा का बौध है।
वीर दामोदर सावरकर के बलिदान और उनके इस ध्वज को शत शत नमन------धर्मेतं

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