मार्गदर्शक डॉक्टर मुंशी राम शर्मा 'सोम'

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        आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के तहत------
    16 नवंबर 1901 को फिरोजाबाद के ओखरा में जन्मे मुंशी राम शर्मा 'सोम' जी एक ऋषि कल्प विद्वान थे।
         ' सोम' जी के शिष्य सुरेंद्र नाथ पांडे क्रांति दल के सक्रिय कार्यकर्ता थे। 'सोम' जी की प्रेरणा से महावीर सिंह, तुलसीराम शर्मा व ब्रह्मदत्त भी क्रांतिकारियों के दल में शामिल हो गए थे। तीनों को सांडर्स की हत्या के केस में लाहौर जेल में रखा गया था।
           उन्हीं दिनों चंद्रशेखर से निकटता बढ़ी और राजगुरु, सुखदेव, जय देव वर्मा, शिव वर्मा, जयदेव कपूर, उदय प्रकाश, काशीराम जी का मार्गदर्शन तथा अपने डीएवी कॉलेज कानपुर के प्राध्यापक के कार्यकाल में वहां पर उन सभी को संरक्षण तथा ठिकाना मिला।
          1926 में काकोरी कांड के क्रांतिकारियों को भी इनके यहां शरण मिली थी। अंग्रेजों की स्पेशल ट्रेन के नीचे विस्फोटक की कार्यवाही के कारण उस समय यशपाल, भगवतीचरण फरार थे, उस समय यशपाल तथा उनकी पत्नी प्रभावती को छात्रावास में इन्होंने शरण दी थी।
      बीसवीं सदी के द्रोणाचार्य कहे जाने वाले 'सोम' जी ने कालेज को क्रांतिकारियों का केंद्र बना दिया था। भगत सिंह वहां पर मार्गदर्शन लेने आया करते थे।
         वेद मीमांसा, समीक्षा, भाष्य और काव्य में इन्होंने युवाओं के जोश वर्धन तथा हर एक विधा पर प्रखर व प्रचुर काव्य कृतियां तथा भाष्य लिखे। राष्ट्रीयता के दिव्य बोध से अनुप्राणित कविताएं भी लिखीं। राष्ट्र ऋषि की परंपरा के प्रतिनिधि मुंशी राम शर्मा 'सोम' जी का 12 जनवरी 1990 को स्वर्गवास हो गया था।------धर्मे
           राष्ट्र ऋषि डॉ मुंशी राम शर्मा 'सोम' जी की फोटो ऊपर है।

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