आजादी के अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत------
मुर्धन्य संपादक और हिंदी के सरल- सत्य सेवक माधव राव सप्रे की याद में डेढ़ सौ वां जन्मदिन 19 जून 2022 को मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया में मनाया। 19 जून 18 71 को इनका जन्म मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया में हुआ था।
यह साहित्यकार, चिंतक तथा स्वतंत्रता सेनानी थे। इन की प्रसिद्ध कहानी (एक कटोरी भर मिट्टी) हिंदी की प्रमुख काव्य थी,जो वैन कर दी गई थी। सन 19 सौ में प्रमुख मासिक पत्रिका (छत्तीसगढ़ मित्र) तथा कुछ समय बाद समाचार पत्र (हिंदी केसरी) का संपादन- प्रकाशन इन्होंने किया। हिंदी केसरी के इनके उग्र लेखों के कारण 1908 में इन को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया था। 23 अप्रैल 1926 को उनका निधन हो गया था।
सेनानी साहित्यकार वृंदावन लाल वर्मा------
महारानी लक्ष्मीबाई के सैन्य दल में रहे आनंद राय के प्रपौत्र वृंदावन लाल वर्मा का जन्म अट्ठारह सौ सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम के 30 वर्ष बाद 9 जनवरी 18 89 को हुआ था। यह बचपन में गणेश शंकर विद्यार्थी से जुड़कर उनके पत्र (प्रताप) में कई स्तंभों में लिखने लगे थे।
मन्मथ द्विवेदी तथा अमृतलाल नागर के साथ (गोल माल कार्यकारिणी) सभा बनाई थी। इन्होंने अपने लेखों द्वारा जड़ता, विषमता, खास शख्सियतों की अभद्र भाषा की खूब पोल खोली थी।
शिक्षा ग्रहण के समय से ही 13 वर्ष की उम्र में नाटक (सेनापति ऊदल) उनका लिखा तीन - चार साल बाद छपा, उसको प्रतिबंधित कर दिया गया। वर्मा जी पर पहरा बैठा दिया गया। कायदे- कानून की सीमा में रहकर उन्होंने कई निर्णायक- सार्थक कार्य किए थे।
अंग्रेजी लेखकों, इतिहासकारों के झूठे लेखन के विरोध में इन्होंने सत्य- तथ्य आधारित खोज का बीड़ा उठाया। गढ़कुंडार, विराट की पद्मिनी, मृगनैनी, प्रभृति आदि उपन्यासों के माध्यम से वीर गाथाओं, भारतीय संस्कृति, संस्कारों, आदि उपन्यासों के माध्यम से त्याग, बलिदान, राष्ट्र अभिमान, वीरता, जातीय गौरव, से जन-जन को जागृत किया था।
उनकी (झांसी की रानी) कृति पर चल चित्रों का निर्माण हुआ। उन्होंने अपनी रचनाओं से नारी को साहस, बुद्धि, सूझबूझ, कौशल का स्मरण कराया था। ये झांसी में वकील रहे, इन्होंने विद्यार्थी जी, मैथिली जी आदि साहित्यकारों के अंग्रेजी शासन के द्वारा लगाए मुकदमों की अनेक बार पैरवी की थी। 23 फरवरी 1969 को इनका निधन हो गया था।------धर्मे
माधव राव सप्रे तथा वृंदावन लाल वर्मा की फोटो ऊपर है।