चल - अचल विग्रह की परंपरा

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आजादी के अमृत महोत्सव श्रंखला के तहत हमारे भारतीय परंपरा में मंदिरों में चल और अचल विग्रह रूप स्थापित करने की परंपरा मान्य है।
राम जन्मभूमि के ट्रस्टी श्री चंपत राय जी द्वारा मंगलवार 19 अप्रैल 2022 की बैठक में चल - अचल विग्रह मूर्तियां स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया था। इस पर कुछ लोगों ने आपत्ति जताई और चल विग्रह मूर्तियों को स्थापित करने को लेकर प्रश्न उठाया।
इस आपत्ति पर संतों ने कहा कि रामलला के अतिरिक्त अन्य मंदिरों जैसे---- कनक भवन, दशरथ महल, राम वल्लभाकुंज, लक्ष्मण किला जैसे प्रमुख मंदिरों में भी चल विग्रह के साथ अचल विग्रह स्थापित किए गए हैं! जिन्हें झूलनोत्सव तथा शरद पूर्णिमा पर गर्भ ग्रह से बाहर स्थापित किया जाता है।चल विग्रह मूर्तियां गर्भ ग्रह में ही पूज्यनीय हैं।
यह हमारी परंपरा रही है। उत्सव के समय श्रद्धालु इनकी बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा - अर्चना करते हैं।
उपरोक्त सभी प्रमुख मंदिरों के महंतों ने श्री चंपत राय जी के प्रस्ताव का स्वागत किया। कनक भवन की तरह ही 73 वर्षों से अब तक पूजित स्वयंभू रामलला का विग्रह नवनिर्मित मंदिर के गर्भ ग्रह में चल रूप में स्थापित रहेगा, तथा भव्य - दिव्य राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला आदि सभी देवों की दिव्य - भव्य चल विग्रह की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगीं! जो उत्सव के समय गर्भगृह से बाहर लाई जा सकेंगी।
कनक भवन की चल और अचल विग्रह मूर्तियों का स्थापत्य इस परंपरा के प्रमाण की फोटो ऊपर है।-----धर्मे

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