आजादी के अमृत काल में नौसेना को मिला उसका स्वाभिमान-------
13 वर्षों में बनकर तैयार हुआ स्वदेशी पहला (आई एन एस विक्रांत)। इस दौरान प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से 40 हजार लोगों को रोजगार मिला। इसके निर्माण में 76% स्वदेशी सामान का उपयोग हुआ है।
इसका नामकरण पुराने (आई एन एस विक्रांत) के नाम पर किया गया है। यह युद्धपोत सामान्य के मुकाबले तेजी से बहुत लंबी दूरी तक निगरानी तथा रक्षा के कार्य के साथ, युद्धक विमानों की तैनाती, सैनिकों की हर सुविधा सुरक्षा के लिए, सीमा की मजबूती के लिए, समुद्र पर तैरते हुए वायु सेना क्षेत्र जैसा है।
इसमें अंबाला से सप्लाई किए गए कलपुर्जे लगाए गए हैं। 262 मीटर लंबाई, 62 मीटर चौड़ाई, 59 मीटर ऊंचाई, 18 मंजिल इमारत और फुटबॉल के दो मैदान के बराबर है, विक्रांत का रनवे।
16 बेड वाला, ऑपरेशन थिएटर, आधुनिक सुविधा से लैस अस्पताल है। एम आर आई, सीटी स्कैन व अन्य सुविधाएं इस अस्पताल में उपलब्ध हैं।
अत्याधुनिक रसोई, विमानों की तैनाती, 1600 कर्मी इसके संचालन के लिए हैं। रोटी बनाने वाली मशीन 3 हजार रोटियां प्रति घंटे बनाएगी।
मशीन ऑपरेशन, नेविगेशन के लिए (आई एन एस विक्रांत) ऑटोमेटिक कार्यप्रणाली से लैस है। बिजली उत्पादन तथा चार गैस टरबाइन इसमें लगे हैं।
mig-29 सहित 30 लड़ाकू विमानों के अलावा स्वदेशी हल्के हेलीकॉप्टर (ए एल एस) भी रखे जा सकते हैं। इसमें 2300 कंपार्टमेंट हैं।
रफ्तार 28 समुद्री मील (53 किलोमीटर प्रति घंटा) और क्रूजिंग गति 18 समुद्री मील, यह एक बार में 75 हजार समुद्री मील तय करता है।
कोच्चि शिपयार्ड ने इसे बनाया है 2009 से इसका निर्माण शुरू हुआ था। लगभग 2000 लोग प्रतिदिन यहां काम करते थे।
हमारी नौसेना की ताकत (आई एन एस विक्रांत) के निर्माण के लिए वैज्ञानिकों, इंजीनियरों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं-------धर्मे
(आई एन एस विक्रांत) तथा मोदी जी द्वारा नौसेना को विक्रांत के समर्पित किए जाने की फोटो ऊपर है।