आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष श्रंखला के तहत------
आधार कार्ड के रूप में देश को खास पहचान पत्र दिलाने वाले नंदन नीलेकणी का जन्म 2 जून 1955 में बेंगलुरु में हुआ था।
1981 में नारायणमूर्ति और पांच लोगों के साथ इन्होंने (इंफोसिस) की स्थापना की थी, जो देश की सबसे बड़ी फर्म है। अब वह सरकार की (ओपन टेक्नोलॉजी नेटवर्क) परियोजना पर काम कर रहे हैं।
सन 2006 में सूचना प्रौद्योगिकी, संचार सूचना प्रौद्योगिकी, मंत्रालय वह सरकार द्वारा (बीपीएल) परियोजना बनाई गई थी।
इस (बीपीएल) के तहत 12 अंकों वाले आधार कार्ड की शुरुआत 2009 में महाराष्ट्र में हुई थी। यूपीए सरकार के समय इंफोसिस के सह संपादक नंदन नीलेकणी के सहयोग से (यूआईडीएआई) संस्था बनाकर इनको इसका चेयरमैन बनाया गया। इनके प्रयासों से आधार कार्ड हर व्यक्ति की आईडेंटिटी का माध्यम बना।
2010 से आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। पहला आधार कार्ड महाराष्ट्र के नदुबार जिले की रंजना सोनवाने का बना था। महाराष्ट्र के कई ग्रामीण इलाकों में आधार कार्ड बनाए गए। सरकार ने (नेशनल आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी आफ इंडिया) बिल 2010 में संसद में पेश किया था। आधार से लिंक खातों के लिए (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) स्कीम शुरू की गई।
2013 में यह प्रोजेक्ट 15 जिलों में लागू हुआ 2015 में आधार कार्ड (लिंक्ड डिजिलाकर सर्विस) से जोड़ा गया।
2017 में सरकार ने आयकर अधिनियम में नया सेक्शन 139 ए ए जोड़ा। पैन कार्ड के साथ- साथ आयकर रिटर्न करने के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया। यही आधार कार्ड देशवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण सरकारी दस्तावेज बन गया।
आधार खाता खुलवाने से लेकर लोगों के हर एक कार्य के साथ बच्चों के दाखिले तक का ये आधार कार्ड एक खास माध्यम बन गया।
हर वर्ग के लोगों के लिए आधार कार्ड एक प्रमाण पत्र की तरह है।------धर्मे
आधार की फोटो तथा नंदन नीलेकणि की फोटो ऊपर है।