स्वावलंबन का सूरज, पुरुषार्थ की पृथ्वी

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आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के 75 वें वर्ष के उपलक्ष में----------
हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया को (एक सूरज) का मंत्र दिया था। उनका कहने का मतलब था---- कि सूरज एक है तो पूरे विश्व के कल्याण के लिए एक होकर (एक पृथ्वी) के लिए विश्व की एकता जरूरी है। इस वर्ष 5 जून 2022 के पर्यावरण दिवस की थीम (एक पृथ्वी) है।
वायु में मीथेन की बढ़ोतरी कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा से 25 गुना अधिक हानिकारक है। विश्व में करीब दो तिहाई वन नष्ट कर दिए गए इस कारण वनों की जल संग्रह क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ा। बढ़ते तापमान के कारण दावानल वनों को निकल रही है।
विकास के चलते उद्योग क्रांति आई, वनों के अभाव में मिट्टी बही, मिट्टी की गुणवत्ता नष्ट हुई, इसी सबके चलते समुद्रों में भी 400 डार्क जोन बन गए जलीय जीव, जीवन नष्ट हो रहा है।अन्य देशों के मुकाबले भारत का खेती का क्षेत्र 10 से 12% तक है।
कुछ देश तो वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत विकसित कर चुके हैं, मगर भारत का ऊर्जा उत्पाद कोयले पर निर्भर है। भारत को पृथ्वी और प्रकृति बचाने को ऊर्जा के लिए वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र में स्वावलंबन के विकल्प विकसित करने हैं, इसके लिए जंगल काटने नहीं फिर से जमाने पड़ेंगे।
विश्व को भी साथ मिलकर एक पृथ्वी की थीम पर पर्यावरण सुधार, प्रदूषण मुक्त जीवन शैली की ओर कदम बढ़ाने होंगे! तभी (एक पृथ्वी - एक सूरज) का नारा खरा उतरेगा‌। सुखद भविष्य के लिए यह बहुत आवश्यक है।
सनातन भाव से हो पर्यावरण संरक्षण-----
मानव जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक के ,*16 सनातनी, सांस्कृतिक, धार्मिक संस्कार* प्रकृति, जल, वायु, अग्नि तथा सूर्य के पूजन, सम्मान तथा संवर्धन से ओत-प्रोत हैं।
प्रदूषण को सोख कर ऑक्सीजन देने वाले वृक्षों को नदियों को पर्वों, संस्कारों के तहत देवी - देवताओं के रूप में पूजना,ये पर्यावरण संरक्षण के ही विकल्प हैं। इन्हें विश्व की जीवन शैली में समाहित करने की आवश्यकता है इन्हीं उपायों से कुल चराचर को संरक्षित किया जा सकता है।
फोटो ऊपर है।------धर्मे

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