विरासत पर गर्व, विकास का शिखर है

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आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के 75 में वर्ष में लाल किले से 15 अगस्त 2022 को संबोधन में जिस तरह से स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने खुद को प्रधान सेवक के रूप में देश की प्रगति के लिए अनवरत प्रयासरत करते हुए 5 मंत्र दिए।
हमारे उत्थान तथा देश के विकास के लिए हम उन संकल्पों को अपनाएं और आत्मनिर्भर भारत, विश्व गुरु भारत, समृद्ध भारत, सुपर पावर भारत, सशक्त भारत के लिए जारी उन प्रयासों में अपना योगदान दें, अपनी विरासत का पुनरुत्थान करें।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत ने ही विश्व को शून्य का ज्ञान, सुश्रुत व चरक की चिकित्सा की तमाम संहिताओं, अध्यापन - अध्ययन के लिए तक्षशिला - नालंदा ज्ञान के केंद्र, पुरातन संस्कृति के भारतीय (योग) से मोदी जी के प्रयास से विश्व को स्वास्थ्य का ज्ञान सहित अनेक उदाहरण हमारे भारत की विरासत के ही हैं। हरियाणा की पावन भूमि जहां कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, उसे आज पूरा विश्व अंगीकार कर रहा है।
भारत भूमि की विरासत में ऐसे अनेक गूड सत्य विद्वान हैं, जो भारत के साथ-साथ पूरे विश्व की प्रगति विकास और मानव के कल्याण का रास्ता दिखाते हैं।
पुरातत्वविद (विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रोफेसर वसंत शिंदे के शोध के अनुसार हरियाणा (राखीगढ़ी) की खुदाई में मिले 5000 साल पुराने महिला कंकाल से यह साबित हो गया है कि हड़प्पा कालीन लोग हमारे जैसे थे, हम उनके वंशज हैं।
इतिहास की वह छोरी मिथ्या है, जिससे आर्यों को बाहर से आए हुए प्रचारित किया गया। भारत की मिट्टी में वह ताकत व सामर्थ्य है, जिसके बल पर हम सदियों से लुटने के बाद भी अपनी पहचान बना करार रखे हुए हैं।
विरासत पर गर्व का भाव ही हमें विश्व पटल पर विकसित राष्ट्र के निर्माण की प्रेरणा देता रहेगा।----धर्मे
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