स्वाधीनता की राहत तकनीक के साथ

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आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के तहत------
स्वाधीनता के बाद पिछले 75 वर्षों में विज्ञान व तकनीकी क्षेत्र में देश को मिली खास पहचान के पीछे स्वाभिमान व स्वावलंबन के साथ हमारे वैज्ञानिकों का प्रयास रहा है। 25 वर्षों बाद जब हम स्वाधीनता की स्वर्ण जयंती मना रहे होंगे तब निश्चित ही दुनिया के सामने हम एक महाशक्ति होंगे।
1947 की आजादी के बाद राजनीतिक इच्छाशक्ति, देश प्रेम का जज्बा और हमारे वैज्ञानिकों की कर्मठता ने हमें दुनिया में खास पहचान दिलाई। इसरो द्वारा अंतरिक्ष अभियान, उन्नत मिसाइल निर्माण, रक्षा उपकरण या खेती में आत्मनिर्भरता आदि से लेकर हर क्षेत्र में समर्पित व कुशल विज्ञानियों ने आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ाने का कार्य करके देश का मस्तक ऊंचा किया है, और देश को गौरवान्वित किया है।
1962 में (इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च) का गठन डॉक्टर विक्रम अंबालाल साराभाई ने किया था। बाद में ये (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) * इसरो* के नाम से मशहूर हुआ।
आर्यभट्ट, पहला प्रायोगिक सुदूर संवेदन उपग्रह भास्कर-१, एक साथ 23 उपग्रह प्रक्षेपण, फिर 104 उपग्रह प्रक्षेपण के साथ भारत अन्य देशों की दौड़ में शामिल हो गया है। अनेक उपयोगी उपग्रह चंद्र यान, मंगल यान आदि उपलब्धियों के द्वारा इसरो ने देश को गौरवान्वित किया है, अभी और कई अभियान चरम पर हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपई जी का नारा *जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान* सार्थक हो रहा है।------धर्मे
*मेक इन इंडिया* की तकनीकी फोटो ऊपर है।

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