स्वाधीनता के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर अवलोकन------
सैकड़ों वर्षों तक गुलामी की बेड़ी में जकड़ा भारत इन 75 वर्षों में परमाणु ऊर्जा उत्पादन की क्षेत्र में इतना स्वावलंबी बना है,कि आज दूसरे देश भी भारत के ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं।
भारत को संपन्न बनाने के लिए होमी जहांगीर भाभा ने (टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च) की स्थापना की थी। 1 जून 1945 को टाटा ट्रस्ट ने मुंबई के कोलाबा में समुद्र के किनारे इस संस्था की स्थापना की थी।। इसके संस्थापक होमी जहांगीर भाभा, जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा थे।
अमेरिका ने 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा पर तथा 9 अगस्त 1945 को नागासाकी में अणु बम गिराया था। तभी से होमी जहांगीर भाभा ने देश को इस क्षेत्र में संपन्न बनाने का संकल्प ले लिया था।
भाभा ने नेहरू जी की सहमति से देश में एटॉमिक एनर्जी आयोग (ए ई सी) का गठन किया, और होमी जहांगीर भाभा इसके चेयरमैन बने।
होमी जहांगीर भाभा, साराभाई, पीके आयंगर, राजा रमन्ना (फादर ऑफ द बम) अभियान में आगे बढ़ने लगे। 1962 में प्रोफेसर (आरके असुदी) समिति बनाई गई। नेहरू जी तथा होमी जहांगीर भाभा के निधन से परमाणु कार्यक्रम में रुकावट आ गई।
अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि ने जो परमाणु परीक्षण किए! उनकी अंदर और बाहर काफी प्रशंसा हुई। भारत पर अमेरिका का दबाव था, कि भारत (सीटीबीटी) पर दस्तखत करें, और परमाणु बम ना बनाए। बिल क्लिंटन ने पीएम नरसिम्हाराव को सख्त चेतावनी दी थी।
लोक सभा चुनाव के चलते 1996 में बाहरी तथा मंत्रिमंडल विरोध के कारण भी परमाणु परीक्षण नहीं हो सका।
16 मई 1996 को नरसिम्हा राव के स्थान पर अटल जी प्रधानमंत्री बने, तब नरसिम्हा राव ने उन्हें पत्र द्वारा बताया, कि अब्दुल कलाम (न्यूक्लियर) के बारे में सब कुछ जानते हैं। अटल जी ने अगले दिन अब्दुल कलाम जी से बात करके उन्हें परमाणु परीक्षण की तैयारी करने को कह दिया था! मगर 13 दिन बाद अटल बिहारी बाजपेई जी की सरकार गिर गई।
उस समय प्रधानमंत्री एच डी एच डी देवेगौड़ा बने। वित्त मंत्री पी चिदंबरम तथा विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल सरकार के दबाव वामपंथियों की असहमति से बढ़ते कदम फिर रुक गए।
1998 में अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार दोबारा आई।अब्दुल कलाम साहब को अटल जी की अनुमति मिली, किसी को भी भनक नहीं लगी।
अमेरिकी गुप्तचर एजेंसी (सीआईए) की नाक तले धूल झोंक कर एक नहीं *ऑपरेशन शक्ति* में पांच सफल परमाणु परीक्षण राजस्थान के पोखरण मैं हुए। पहले परीक्षण 11 मई 1998, अगले परीक्षण 13 मई 1998 को किए गए। ये पांच परीक्षण किए गए। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने विदेशियों के विरोध का कड़ा उत्तर दिया था।
20 मई 1998 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई दोबारा पोखरण आए और उन्होंने जय जवान - जय किसान का नारा दीया था। कार्यकर्ताओं और सैनिकों को बधाई और शुभकामनाएं दी।
यह परमाणु परीक्षण हमारे भारत देश का दूसरा परमाणु परीक्षण था। इससे पहले पहला परमाणु परीक्षण 18 मई 1974 में (मुस्कुराते बुद्धा) कोड के रूप से आयोजित किया गया था।
आज भारत नामचीन देशों की गिनती में आगे खड़ा है।----धर्मे