स्वाधीनता के साथ स्वास्थ्य का स्वावलंबन

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आजादी के अमृत महोत्सव के तहत------ स्वाधीनता के 75 वर्षों में देश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
कोरोना का काल में स्वास्थ्य विज्ञानियों और डॉक्टरों वालंटियर्स ने स्वावलंबन के साथ संकल्प बंद होकर चुनौतियां का सामना किया, और अपने भारत के साथ-साथ अन्य देशों के लिए भी भारत संजीवनी बना। पूरी दुनिया के लिए भारत एक मिसाल है।
पहले हमारे पास पटना, चेन्नई, लखनऊ और कोलकाता में ! यह 4 मेडिकल कॉलेज थे।आज देश में 600 से अधिक इनकी संख्या है जो ज्यादातर पिछले 8 साल में बने हैं।
हमारी चिकित्सा पद्धति पुरातन है सुश्रुत संहिता के लिहाज से उस काल में धनवंतरी, उनके बाद चरक जैसे चिकित्सा विज्ञानी हुए थे।
शोध और विकास के पथ पर चलकर भारत में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर पर सफलता के साथ, मलेरिया, कालाजार, टीवी, चिकनगुनिया, डेंगू, जैसी संक्रमित और हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कैंसर, किसी भी उम्र में हार्टअटैक जैसी बीमारियों के चलते उन पर अंकुश लगाने के पथ पर तेजी से कार्य चल रहे हैं। और सफलता भी मिल रही है।
स्वच्छता अभियान के तहत बीमारियों की रोकथाम, निरंतर प्रगति के चलते लोगों को मिल रहा है, गुणवत्तापूर्ण उपचार।
हमारे पास सर्व प्रचलित एलोपैथी के अलावा पुरातन सिद्ध ऋषि-मुनियों द्वारा खोजी हुई आयुर्वेद, होम्योपैथी, युनानी, सिद्धा जैसी पद्धतियां हैं। भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की सफलता का प्रमाण है बढ़ती हुई औसत आयु।-------धर्मे
* प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना* (आयुष्मान भारत) की फोटो ऊपर है।

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