स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में स्वाभिमान स्वाधीनता व स्वावलंबन की यात्रा में एक महत्वपूर्ण नाम आंध्र प्रदेश के पेडाकलेपल्ली में 2 अगस्त 18 76 को जन्मे थे राष्ट्रध्वज के प्रथम निर्माता पिंगली वेंकैया जी।
वे एक यायावर, जिज्ञासु, भाषा विद, भूगर्भ शास्त्री, कृषि विज्ञानी, भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक और रेलवे तकनीशियन थे। 2009 में पिंगली वेंकैया जीके नाम का डाक टिकट भी जारी किया गया था।
भारत का तिरंगा किसी डिजाइन की कल्पना के आधार पर नहीं बना है, इसके पीछे राष्ट्रप्रेम की भावना और देश को विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान देने का दृढ़ संकल्प युवा पिंगली जी की इच्छा शक्ति थी।
पिंगली जी हिंदी, संस्कृत, तेलुगु, उर्दू ,जापानी और अंग्रेजी के ज्ञाता थे। इन्होंने कई राष्ट्रीय देशों के राष्ट्र ध्वजों का अध्ययन करके पुस्तक लिखकर, प्रकाशित कर के, वरिष्ठ नेताओं के साथ मंथन किया था।
2021 में मछलीपट्टनम के कॉलेज में अध्ययन करते समय गांधी जी के कहने पर अधिवेशन में आए और चित्रकार दोस्त के साथ मिलकर 3 घंटे में ध्वज तैयार कर दिया था।
31 मार्च 2921 को झंडे में लाल, हरी पट्टी थी, फिर ऊपर की ओर सफेद पट्टी बीच में हरी और नीचे लाल पट्टी का तिरंगा बनाया। नेताओं ने इसे कई धर्मों से जोड़ा, तब उन्होंने चरखे को स्थान देकर नया डिजाइन बनाया।
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार चरखे वाला वेंकैया काटन से बना हुआ तिरंगा फहराया गया। पिंगली जी को ब्रिटिश का झंडा सलाम करते हुए अखरता था, तब इन्होंने अपने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किया था।
पिंगली वेंकैया जी ने अपने नाम कमाने की कभी भी इच्छा नहीं रखी, वे अपने परिवार में ही रमते रहे। भाजपा शासन में अब जाकर पिंगली वेंकैया जी को उनके हक का सम्मान मिला है। 4 जुलाई 1963 में 86 वर्ष की उम्र में इनका निधन हो गया था।
हमारे प्रथम राष्ट्र ध्वज के निर्माता पिंगली वेंकैया जी को भावभीनी श्रद्धांजलि------धर्मे
पिंगली वेंकैया जी और महात्मा गांधी के साथ सभी निर्मित राष्ट्रध्वजों की फोटो ऊपर है।