आजादी की अमृत महोत्सव वर्ष के तहत------
भारतीयों के लिए अमृत महोत्सव अविस्मरणीय अनुभव है। हमारे अमर नायकों ने बलिदान दिया, तब जाकर हम स्वतंत्रता के अधिकारी बने। स्वतंत्रता संग्राम की बातें करें तो इस महायज्ञ में आहुति देने वाले कुछ स्थलों के उल्लास की छवि संस्मरण में है।
जैसे------
काकोरी ------- पूरे क्षेत्र में था शादी - बारात का सा माहौल। वहां के निवासी मिन्ना विश्वकर्मा के अनुसार--- लोगों की आंखों में भविष्य को लेकर चमक थी। मिठाई की जगह गुड़ खिलाकर आजादी की सुबह का स्वागत किया जा रहा था।
अल फ्रेंड पार्क----- वहां के निवासी कुमार अवधेश सिंह के अनुसार----- गीत गाकर खुशियां मनाई जा रही थीं। घरों पर तिरंगा लहरा कर *भारत माता की जय* के साथ सब प्रसन्नता से आजादी का उत्सव मना रहे थे।
मेरठ -----वहां के निवासी ताहिर हुसैन के अनुसार----- नई सी लग रही थी सूरज की रोशनी। शिव चौक से मेरठ छावनी तक खड़ंजा के स्थान पर सीमेंट की सड़कें बनाई गई, और सब ने मिलकर मिठाई बांटकर उत्सव मनाया।
चंपारण----- घर - घर बन रही थी खीर, छन रहे थे गुलगुले। साइकिल पर तिरंगा लगाकर पहुंचे लोग और उन्होंने अपनी खुशी का इजहार किया।
जलियांवाला------ जलियांवाला बाग दंगों ने नहीं दीया जश्न मनाने का अवसर। वहां के निवासी जगदीश राय के अनुसार---- आठ 10 दिनों के बाद में शुरू हुई हलचल। जलियांवाला बाग की पवित्र मिट्टी उस समय ले जाते थे लोग।
आधी रात को आजादी की घोषणा के बाद सुबह- सवेरे लोगों में घुटन भरी जिंदगी से बाहर निकल कर आजादी से सांस लेने का अवसर मिला था।
आइए उन बलिदानों को श्रद्धांजलि स्वरुप हम भारतवासी मिलकर अपने भारतवर्ष को ऊंचाइयों के शिखर पर ले जाएं।-----धन्यवाद
जय हिंद, वंदे मातरम--- बलिदानों को शत शत नमन-----धर्मे
सभी उपरोक्त स्थानों की फोटो ऊपर कोलाज में हैं।