यथार्थवादी लेखक मुंशी प्रेमचंद

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आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के 75 में साल में इस प्रकार के महान! हर एक विधा पर लिखने वाले मुंशी प्रेमचंद को याद करना हम देश वासियों की इनको सच्ची श्रद्धांजलि है।
मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को पिता मुंशी अजायब राय और माता आनंदी देवी के यहां बनारस के लमही गांव में हुआ था। इनके पिता डाक मुंशी थे।
7 वर्ष की उम्र में इनकी माता का और 14 वर्ष की उम्र में पिता का देहांत हो गया था 15 साल की उम्र में इनकी शादी शिवरानी देवी के साथ हो गई थी।
18 98 में मैट्रिक पास करके टीचर बने थे। 1910 में अंग्रेजी, दर्शनशास्त्र, फारसी, इतिहास पढ़कर इंटर पास किया था। 1919 में इन्होंने b.a. किया था।
मुंशी प्रेमचंद अपने समय के महान कहानी कार और नाटककार थे। उनकी लिखी अनगिनत कहानियां जैसे--- नमक का दरोगा- गोदान- सवा सेर गेहूं- कर्मभूमि- ईदगाह- गुल्ली डंडा- गबन- झूरी के बैल इत्यादि में अनेकों पात्रों को लेकर आर्थिक- सामाजिक- शोषण- परतंत्रता - कुरीतियों- सूदखोरों- अत्याचारों पर इतनी पारदर्शिता का चित्रण किया है, जो नगण्य है।
1910 में रचना *सोजे वतन* धनपत राय के नाम से लिखी थी। हमीरपुर के अंग्रेज इंस्पेक्टर ने *सोजे वतन* को लेकर इन्हें जेल की धमकियां दी थीं, और *सोजे वतन* की प्रतियां जलाई थीं। मुंशी प्रेमचंद का लिखा हुआ साहित्य गुलामी से छुटकारा पाने का संदेश देता है।
तब (जमाना पत्रिका) के संपादक और उनके एक मित्र दया नारायण ने प्रेमचंद नाम से लिखने की सलाह दी। इसके बाद ये मुंशी प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे थे। लंबी बीमारी के कारण उपन्यास (मंगलसूत्र) पूरा नहीं हो सका, वो इनके बेटे अमृत ने पूरा किया। इनके दो बेटे और एक बेटी थी।
8 अक्टूबर 1936 को इनका देहावसान हो गया था।------धर्मे

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