आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष श्रृंखला के तहत----
फिल्मकार महबूब रमजान खान की फिल्म 1940 में बनी फिल्म (औरत) की रीमेक 1957 की फिल्म (मदर इंडिया) ऑस्कर अवार्ड के लिए नामित फिल्म भारतीय फिल्म उद्योग के स्वावलंबन में मील का पत्थर साबित हुई, जिसका क्रेज आज भी हर वर्ग के दर्शकों में बरकरार है।
27 दिसंबर१९०७ में जन्मे महबूब खान ने बिना फिल्मी शिक्षा बिना फिल्मी पृष्ठभूमि के 1925 में घर से भागकर मुंबई में अपना सफर फिल्म (बुलबुले बगदाद) से खलनायक के रूप में शुरू किया था।
मदर इंडिया की कहानी बाबूभाई मेहता ने (गुड अर्थ) की कहानी को लेकर पर्ल के एक अन्य उपन्यास (द मदर) से जोड़कर लिखी थी।
इस फिल्म में दिलीप कुमार की मां बनना नरगिस नहीं चाहती थी। साबु दस्तगीर स्क्रीन टेस्ट में नहीं टिके, तब सुनील दत्त को 'बिरजू' का रोल मिला था।
मदर इंडिया की शूटिंग फिल्म (औरत) की लोकेशन पर हुई थी। दीपावली के दिन 1957 में रिलीज हुई फिल्म (मदर इंडिया) बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट हुई। ये फिल्म मुंबई (लिबर्टी) में पूरे 1 साल चली थी।
ऑस्कर अवार्ड में (मदर इंडिया) ने डोनी डे लारेंटिस की फिल्म (नाइट्स ऑफ केबिरिया) को हराया और यह विजेता बनी थी।
महबूब खान की फिल्में अमीर- गरीब के बीच की खाई को दर्शाने वाली होती थीं। सदाबहार फिल्मों (औरत - मदर इंडिया- सन ऑफ इंडिया - अमर- तकदीर- रोटी और एक ही रास्ता) जैसी फिल्मों ने निर्माता महबूब रमजान खान को फिल्म इंडस्ट्री का सुप्रसिद्ध, प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया था।
28 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से महबूब खान का निधन हो गया था।।
महबूब रमजान खान तथा फिल्म (मदर इंडिया) के पोस्टर की फोटो ऊपर है।------धर्मे
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अमृत महोत्सव वर्ष
Paranormalneआजादी के 75 वें अमृत महोत्सव वर्ष पर (यादें) भूली बिसरी