आजकल अधिकतर लोगों को देखो तो मुरझाए
हुए रहते हैं जिंदगी से हारे हुए रहते हैं
कोई ताकत ही नहीं होती ना उनके मन में
नाखून के तन में जी रहे हैं और जिंदगी
नहीं होती चल रहे भर कोई मंजिल नहीं होती
है जिंदगी में कोई खुशी ही नहीं है कोई
चांस ही नहीं है किसी बात को लेकर के
लोगों में उत्साह ही नहीं होता बस हमेशा
अपने दुख परेशानियों और चिंताओं से घिरे
रहते हैं पता नहीं क्या हो गया है मानवता
को सबने जैसे अपनी शक्ति ही खुदाई हो
निस्तेज हो गए हैं कोई बलि नहीं है ना
चरित्र में ना मन में और ना ही शरीर में
आज कल के समय में लोगों को सफेद बाल आ
जाते हैं इस जवान की उम्र में बुढ़ापे की
निशानी आना शुरू हो जाती है जवान लोग भी
थोड़ा काम करते हैं और कहते हैं कि थक गए
कि शरीर में ताकत ही नहीं है
छोटी सी उम्र
में ही लोगों को बड़ी बड़ी बीमारियां लग
जाती है यह सारी परेशानियां भी हमारी है
और इन परेशानियों का कारण भी हम हैं इसका
सबसे बड़ा कारण यह है कि आज के युग में
लोगों में ब्रह्मचर्य है ही नहीं
ब्रह्मचर्य मानव की सबसे बड़ी शक्ति है
ब्रह्मचर्य जो इंसान एक साल तक अपने
ब्रह्मचर्य को संभाल सकता है उसकी शक्ति
कम से कम 100 गुना बढ़ जाएगी वह जहां
जाएगा हजारों की भीड़ में भी सबसे अलग
दिखेगा सबसे बेहतर दिखेगा हर इंसान उसकी
इज्जत करने पर मजबूर हो जाएगा क्योंकि
उसका कॉन्फिडेंस उसकी शक्ति उसका तेल जैसा
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विश्व दर्शन
Science Fictionइस पुस्तक का उद्देश्य केवल लोगों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना है मनुष्य को अंधकार से निकालकर उन्हें प्रकाश की ओर ले जाना है तथा इस भूल भुलैया की जीन्दगी से लिपटे इंसान को जीवन का मूल्य समझाना है।