सच्चा प्यार क्या होता है

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कुछ प्रश्न पूछे गए हैं
तो क्या आज के युग में सच्चा प्रेम है या
नहीं यह सब का प्रेम झूठ है माता-पिता का
प्रेम भी सच्चा नहीं वास्तव में प्रेम के
अलग-अलग इस तरह एक प्रेम जो भक्त और भगवान
का है उसे भक्ति कहते हैं एक प्रेम गुरु
और शिष्य का है उसे श्रद्धा कहते हैं एक
प्रेम माता-पिता और बच्चों का है उसे ममता
कहते हैं बाकी जितने भी प्रेम हैं उनका
स्तर उनकी मान्यताएं बदलती रहती है कुछ भी
शेष नहीं उसमें कुछ भी परमानेंट नहीं
उसमें उन सभी धर्मों में प्रेम हो भी सकता
है और नहीं भी पति-पत्नी में प्रेम हो भी
सकता है और नहीं भी दो मित्रों में प्रेम
हो भी सकता है और नहीं भी पर इन सब प्रेम
में ना बहुत गहराई होती है ना बहुत ही
चाहिए
मैं इसमें सब लोगों के भाव बदलते रहते हैं
कल तक जो जान से भी प्यारा लगता था आज
उसकी शक्ल से ही नफरत हो जाती हैं
वास्तविकता में यह सब प्रेम नहीं है यह सब
कुछ समय चलने वाली मन की भावनाएं हैं जो
कभी भी बदल जाती है और हम यह मानकर बैठ
जाते हैं कि जन्म जन्म का साथ है बातें तो
प्यार की सब करते हैं और प्यार निभाना
आप सबके बस की बात नहीं किसी को भी यह कह
देना कि मैं तुमसे बहुत प्रेम है बहुत
आसान बात है और उसे निभाना
जो हर किसी के बस की बात नहीं
वो मासूम मोहब्बत का
का बस इतना फ़साना है कागज़ की हवेली है
है बारिश का ज़माना है क्या शर्ते-मुहब्बत
है क्या शर्ते-ज़माना है
आप की आवाज भी ज़ख्मी है और गीत भी गाना
है उस पार उतरने की उम्मीद बहुत कम है कि
कश्ती भी पुरानी है और तूफ़ां को भी आना
है  मोहब्बत के इक
शख्स को आंखों से दिल का सारा दर्द सुनाना
है भोली सी अना कोई फिर इश्क की ज़िद पर
है फिर आप का दरिया है और डूब कर जाना है


प्यार का सौदा बहुत महंगा सौदा है और
सस्ते सौदा करो के पास आपको नकली पैर ही
मिलेगा जिसे नकली वस्तुएं हर दुकान पर मिल
जाती है
अब मत भेजना ऊपर की सफाई पर यह तो सोने का
वक्त लगा है मिट्टी की मिठाई पर
कि ऐसे लोगों की बातों से झांसे में मत आ
जाना लोग अपना काम करने के लिए प्रशंसा का
ऐसा जाल बिछाते हैं कि अच्छे-अच्छे उस जाल
में फंस जाते हैं बातें करने में क्या
जाता है लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं
चांद तारे तोड़ लाने की बातें करते हैं पर
जब निभाने की बात आती है तो कहां जाते हैं
सब
के लोगों को हटाने की बात करते हैं लोग
आने जाने की बात करते हैं हाथ मिलाना तो
ठीक से नहीं जानते और दिल मिलाने की बात
करते हैं
कि यहां लोगों को फंसाने के लिए शब्दों के
जाल बिछाए जाते हैं कि कुछ भी हो जाए हम
है बैठे हैं तेरे साथ
आप कोई भी बात तो हमें मिलाना लोग आने
जाने की बात करते हैं लोग तो उठाने की बात
करते हैं
कि यह सब लोग चेहरे पर नकाब लिए घूमते हैं
कि कोई अपना असली चेहरा नहीं देखा था
लेकिन इन नकली चोरों की चमक में
के पास मत जाना है
कि हर इंसान अपने आपको अच्छा दिखाता है


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