परिवार योग्य बातें

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जब अपने लोग पराए होने लगे, और पराए लोग अपने लगने लगें, तो समझ लेना कि परिवार में विनाश का प्रारंभिक दौर शुरू हो चुका है। ये बिना किसी हद तक जा सकता है इस का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है हो सकता है कि ये विनाश बात-बिवाद से ही सल्ट जाऐ और हों सकता है कि ये रक्तपात होने के पश्चात भी ना निपट पाऐ। इसलिए इस नुकसान का अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल होता हैं।

रिश्ते-नाते तो केवल कहने और समझाने के लिए होते हैं, वास्तविकता तो इसकी कुछ और ही होती है। अच्छे से अच्छे और सच्चे रिश्ते भी बुरे वक्त में साथ निभाने की बजाय एक-दूसरे का साथ छोड़ देते हैं।

परिवार के किसी भी सदस्य को हेय दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।  क्योंकि अपमान ही वह कारण है जिसके कारण परिवार टूट जाता है।  यही वो चीज़ है जो अपनों को अपनों से अलग कर देती है.  याद रखें कि समय आने पर खोटा सिक्का और नालायक बेटा ही काम आते हैं।  भवसागर में डूबते परिंदों को तिनके का सहारा ही काफी है।  जब आपके अच्छे लोग मुश्किल वक्त में आपका साथ छोड़ देते हैं तो वही आम लोग मुश्किल हालात में आपकी मदद करते हैं, जिन्हें आप जिंदगी भर ठुकराते आए हैं।

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