जब अपने लोग पराए होने लगे, और पराए लोग अपने लगने लगें, तो समझ लेना कि परिवार में विनाश का प्रारंभिक दौर शुरू हो चुका है। ये बिना किसी हद तक जा सकता है इस का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है हो सकता है कि ये विनाश बात-बिवाद से ही सल्ट जाऐ और हों सकता है कि ये रक्तपात होने के पश्चात भी ना निपट पाऐ। इसलिए इस नुकसान का अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल होता हैं।
रिश्ते-नाते तो केवल कहने और समझाने के लिए होते हैं, वास्तविकता तो इसकी कुछ और ही होती है। अच्छे से अच्छे और सच्चे रिश्ते भी बुरे वक्त में साथ निभाने की बजाय एक-दूसरे का साथ छोड़ देते हैं।
परिवार के किसी भी सदस्य को हेय दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। क्योंकि अपमान ही वह कारण है जिसके कारण परिवार टूट जाता है। यही वो चीज़ है जो अपनों को अपनों से अलग कर देती है. याद रखें कि समय आने पर खोटा सिक्का और नालायक बेटा ही काम आते हैं। भवसागर में डूबते परिंदों को तिनके का सहारा ही काफी है। जब आपके अच्छे लोग मुश्किल वक्त में आपका साथ छोड़ देते हैं तो वही आम लोग मुश्किल हालात में आपकी मदद करते हैं, जिन्हें आप जिंदगी भर ठुकराते आए हैं।
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विश्व दर्शन
Ciencia Ficciónइस पुस्तक का उद्देश्य केवल लोगों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना है मनुष्य को अंधकार से निकालकर उन्हें प्रकाश की ओर ले जाना है तथा इस भूल भुलैया की जीन्दगी से लिपटे इंसान को जीवन का मूल्य समझाना है।