चिंता इंसान को अंदर से खोखला कर देती
है चिंता इंसान के मन की ताकत को खत्म कर
देती है चिंता आपके मन को तो कमज़ोर करती
ही है लेकिन साथ में आपके शरीर को भी
कमजोर कर देती है चिंता ताकत की निशानी
नहीं है कमजोरी की निशानी है पर आपने कभी
गौर किया आप चाहे जितना भी चिंता कर लो पर
चिंता करके आप अपनी परिस्थितियों को कभी
नहीं बदल सकते ना आप अपना गुजरा हुआ कल
बदल सकते हैं और ना ही आप अपना आने वाला
कल बदल सकते हैं वास्तविकता में जब आप इसी
परेशानी को लेकर इसी तकलीफ को लेकर के
चिंता कर रहे होते हैं उस समय पर आप उस
तकलीफ को दूर करने के लिए कुछ नहीं कर रहे
होते हैं उस परेशानी से निपटने के लिए आप
कुछ नहीं कर रहे होते हैं हमारी अधिकतर
चिंताएं या तो हमारे आने वाले कल को लेकर
होती हैं या जो समय गुजर चुका है उसको
लेकर हम सोचते रहते हैं पर क्या आपको पता
है
वास्तविकता में एक फल होता ही नहीं तन
सिर्फ हमारी बातों में होता है शब्दों में
होता है कल का कोई वास्तविक रूप ही नहीं
होता कोई ऐसा इंसान नहीं होगा जो कल मैं
जी रहा हो जो इंसान कल में चला गया इसका
मतलब ही यही है वह इंसान अब इस दुनिया में
नहीं है आज का नाम ही जिंदगी है और जो लोग
ना दुख के आने से पहले ही दुखी हो जाते
हैं उन्हें जरूरत से ज्यादा दुख का सामना
करना पड़ता है आपका डर आपकी चिंता ना आने
वाले दुख को भी आपकी जिंदगी में आमंत्रित
कर देती हैएक बहुत धनी सेठ था उसने सोचा
कि उन्होंने अपनी संपत्ति का हिसाब लगाओ
कि मेरे पास कितने पैसे हैं उसने अपने
मुनीमों को बुलाया और उनसे पूछा तुम सब
लोग मुझे हिसाब लगाकर बताओ मेरे पास कितनी
संपत्ति है तो उन्होंने कहा कि आपके
संपत्ति बहुत बड़ी है इसलिए हमें एक हफ्ते
का समय दो उस सारे मुनि मुल्क कर 7 दिनों
तक उस सेठ की संपत्ति का हिसाब लगाते रहे
और एक हफ्ते के बाद उन्हें
लुट से कहा कि सेठ आपके पास इतनी संपत्ति
है कि आपके आने वाली सात पीढ़ियां बैठ कर
खा सकती है उन्हें कोई काम करने की जरूरत
नहीं है उन्हें कमाने की जरूरत नहीं है जब
राजा ने यह सुना कि आने वाली मेरी सात
पीढ़ियां बेचकर खा सकती है लेकिन आठवीं
पीढ़ी का क्या वह कैसे खाएगी उसका गुजारा
कैसे होगा या उन्हें भीख मांगनी पड़ेगी और
इसी बात को लेकर के वह सेट बहुत चिंतित हो
गया उसको चिंता में देखकर उससे हटके मित्र
ने उससे पूछा तुम इतनी चिंता में क्यों
रहते हो तो वह सेट कहने लगा कि मेरी जो
संपत्ति है मैं इस सात पीढ़ियों में खत्म
हो जाएगी और उसके बाद मेरी आठवीं पीढ़ी का
क्या होगा मैं वही सोच कर बहुत चिंता करने
लगा हूं तो उसके मित्र ने कहा कि तुम
ध्यान से सुनो मस्ती के किनारे पर एक
बढ़िया रहती है एकदम कंगाल और गरीब है ना
तो उसके पास कोई कमाने वाला है और ना ही
वह खुद कमा पाने में समर्थ है उसको अगर
आपने आधा
तो आटा भी दान में दे दिया तो तुम्हारी
समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी फिर वह
सेठ शॉप किलो आटा ले करके उस बुढ़िया के
पास आया सेट बोला माता जी मैं आपके लिए
आटा लेकर आया हूं आप इसे स्वीकार कीजिए उस
बुढ़िया ने कहा बेटा आटा तो मेरे पास है
मुझे नहीं चाहिए सेट ने कहा आप फिर भी रख
लीजिए तो वह माताजी बोली मैं क्या करूंगी
रखे मुझे जरूरत ही नहीं है
आप पढ़ रहे हैं
विश्व दर्शन
Science Fictionइस पुस्तक का उद्देश्य केवल लोगों में ज्ञान का प्रकाश फैलाना है मनुष्य को अंधकार से निकालकर उन्हें प्रकाश की ओर ले जाना है तथा इस भूल भुलैया की जीन्दगी से लिपटे इंसान को जीवन का मूल्य समझाना है।