हमारी प्रीति

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जो अपूर्णता को पूर्णता दे ऐसी तो नहीं हैं हमारी प्रीत
जो जल में मिश्री सी मिल जाए ऐसी भी नहीं है हमारी प्रीति
जो चकोर को चंद्र से हो वैसी भी नहीं है हमारी प्रीत
जो मीरा को कृष्ण से हो वैसी भी नहीं है हमारी आसती
जो ऐसी नहीं जो वैसी भी नहीं तो है कैसी हमारी प्रीति,

जो गगन को धरा से है वैसी है हमारी प्रीति
जो समय को मानव से है वैसी है हमारी प्रीति
जो गंगा को अपने तट से है वैसी है हमारी प्रीति
जो वृक्ष को अपने पात से है वैसी है हमारी प्रीति,
जो एक दूसरे को पूर्ण न कर उनकी पूर्णता को ऐसे अलंकृत करे की उसके जाने के बाद भी उसका सौंदर्य ना जाए वैसी है हमारी प्रीति।



By the way ye kamal ki photography ki tarif toh karni padegi photographer aka me well done

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