गुनाह

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हमने वफ़ा के बदले वफ़ा मांगी क्या वफ़ा मांगना भी गुनाह था,

हमने मोहोब्बत के बदले मोहोब्बत चाही क्या ये चाहना भी गुनाह था,

हमने अपनी खुशी के बदले तेरी मुस्कुराहट मांगी क्या रोज़ तेरी हसी मांगना भी गुनाह था,

हमने खुद को भुला के तुझ से मिलन की आस बांधी बता क्या ये आस रखना भी गुनाह था,

हमने बस तुझे ही मांगा तुझे ही चाहा बता क्या ये करना भी गुनाह था,

बता आखिर मेरा क्या गुनाह था?

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