आंखो में आसुओ को उतार दिया,
कानो में बेसबरी की ठंडी आग को उतार दिया,
दिल में बेचनी के मंजर को बढ़ा दिया,
ऐसा लगता है उन्होंने दिल-ए-हाल अपना इश्क़-ए-इज़हार करने को जीवन गुजार दिया ,
सदियों को जला दिया ज़िंदगी को ही गुजार दिया।Sultan Rafiq sahab ye hamari apse Kari Hui shikyat hai apne izhar ko sadiya laga di hum bhule nahi hai vo intezar ko abhi bhi @magicallovely
आप पढ़ रहे हैं
सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...