इश्क़ के नाम पर पर पल-पल अश्क बहाएगी वो सदा अगर अपनी दिल्लगी-ए-खुदगर्ज के नाम किसी की खुदाई के सीने खंजर खोपेगी ,
एक रात के आसू पोच सारी जिंदगी के अश्क खुदा से कर्ज़ लेगी जो महफ़िल -ए-अशिकिन में अगर दाग-ए-दिल्लगी की नुमाईश करेगी ,
दो पल की दिलगी में अगर किसी की जान-ए-वफ़ा से बेवफाई मांगेगी तो हर शाम जिस की चाह में चाले चलती है उसके होते हुए भी ना होने के गम में तड़पेगी ,
जलेगी सदा अपना जीवन अश्को में ही पेरोएगी अगर अपनी दिल्लगी-ए-खुदगर्ज के नाम किसी की खुदाई के सीने खंजर खोपेगी ,

आप पढ़ रहे हैं
सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...