इश्क़ के नाम

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इश्क़ के नाम पर पर पल-पल अश्क बहाएगी वो सदा अगर अपनी दिल्लगी-ए-खुदगर्ज के नाम किसी की खुदाई के सीने खंजर खोपेगी ,

एक रात के आसू पोच सारी जिंदगी के अश्क खुदा से कर्ज़ लेगी जो महफ़िल -ए-अशिकिन में अगर दाग-ए-दिल्लगी की नुमाईश करेगी ,

दो पल की दिलगी में अगर किसी की जान-ए-वफ़ा से बेवफाई मांगेगी तो हर शाम जिस की चाह में चाले चलती है उसके होते हुए भी ना होने के गम में तड़पेगी ,

जलेगी सदा अपना जीवन अश्को में ही पेरोएगी अगर अपनी दिल्लगी-ए-खुदगर्ज के नाम किसी की खुदाई के सीने खंजर खोपेगी ,

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