मेरे रहबर

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मेरे साहिर की छुवन जैसे शहिदा ज़हर,
मेरे अशिक की नज़र जैसे सवेरे की धूप,

मेरे वाले के होंठ जैसे जेहनुमी को जन्नत,
मेरे इश्क़-ए-पाक की हर अदा जैसे रूह को सुकून,

मेरे इबादत-ए-मोहोब्बत का रक्स भी जैसे रब की इबादत,

क्या ही कहना मेरे रहबर का जिनकी हर बात जैसे किस्मत की रहमत हो,

जो खुद ही मेरी इबादत हो।

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