मेरे साहिर की छुवन जैसे शहिदा ज़हर,
मेरे अशिक की नज़र जैसे सवेरे की धूप,मेरे वाले के होंठ जैसे जेहनुमी को जन्नत,
मेरे इश्क़-ए-पाक की हर अदा जैसे रूह को सुकून,मेरे इबादत-ए-मोहोब्बत का रक्स भी जैसे रब की इबादत,
क्या ही कहना मेरे रहबर का जिनकी हर बात जैसे किस्मत की रहमत हो,
जो खुद ही मेरी इबादत हो।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...