लगता है

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मेरी लक्ष्मीस्वरूपा को लगता है वो अलक्ष्मी का रूप हैं,

मेरी शक्तिप्रदायनी को लगता है वो अबला पराजयदयानी हैं,

मेरी साहसवरदायनी को लगता है वो हर ओर भयदायनी है,

मेरी रूपवती कमला को लगता है की वो कुरुपवती हैं,

मेरी भगवतिस्वरूप को लगता है की वो पिशाचिनिरुपा है,

क्या करू मैं कसे उन्हें बताऊं मैं की वो तो मेरे जीवन की मंगला कमला मनोरमा गायत्री है,

की वो तो मेरे जीवन का अधार मेरी शक्ति है।

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