क्या पा लिया

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तेरी झूठी बाते मैंने सारी मान ली,
तेरे आंखों में लिखे सच को भी मैंने झूठ मान लिया,

तेरे झूठे होटों से निकला हर वाक मैने ब्रहम्वक मान लिया,

क्या मिला सिला ऐसी आस का इस दिलगी का क्या ही पा लिया,

क्या पाया ऐसे अंधविश्वास में जिसमें केवल विष
का वास था क्या पा लिया,

तेरी हर झूठी बात मान क्या मिला मुझे बेवफ़ा-ए-वफा मैंने तुझ से दिल लगा क्या पा लिया,

तेरी आंखों के बेस सच को झूठ मान किसे मूर्ख बना लिया मैंने क्या पा लिया,

तेरे झूठे होटों से निकले हर वाक को ब्रहम्वक मान मैंने क्या क्या पा लिया,

तेरे झूठे प्यार की इस सच्ची मोहोब्बत के सिले में मैंने तो बस बेवफाई को ही पा लिया,

मैने तो बस गमों को ही सीने से लगा लिया,
मैंने तो बस दर्द पा लिया,

गम को ही मैंने सिला-ए-दिलगी बना लिया,
दुःख को मैंने अपना आशियाना बना लिया,

बोल मैंने क्या पा लिया,
बता तेरे प्यार में मैंने क्या ही पा लिया?

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