बड़ा दर्द

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बड़ा दर्द दिया है उसने मुझे सीने से लगा के,
बड़ा दर्द दिया है उसने मुझे सीने से लगा के,

मैं चश्म-ए-अश्क को प्याले से बहती ना थी,
मैं चश्म-ए-अश्क को नज़रों से बहती ना थी,

उसने उन रुके आसुओं को बाहा दिया है सीने से लगा के मुझे,

जो नहीं है वो तो फिर से पत्थर रख सीने में थम गए है आसू,

पर दिल लाल रंग से रंगा आज भी उनके साए के इंतजार में खड़ा है वही,

इस आस में की आकर फिर गले से लगा लेंगे वो मुझे,
की आकर फिर बाहों में भर लेंगे वो मुझे।

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