मुझे पि के स्पंदन युक्त वही मेघों सी कली सियाहि बना दो,
मुझे मेरे प्रियवर के अधरो से स्पर्श हुई वही कविता बना दो,
मुझे मेरे हृदयवर के मुखमंडल पर सुशोभित वही चक्कोर सी मुस्कान बना दो,
मुझे मेरे पिया के मस्तक पर शोभायमान वही शंकर सा त्रिपुंड बना दो,
मुझे मेरे हृदयराज के हृदय से वंदित वही देवो सी साध्य आरती बना दो,
मुझे मेरे से हर कर मेरे पिया की सियाही के रंग में रंगे पलव सा कोमल मयूर पर बना दो,
मुझे सजना के रंग साजा दो।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...