जब हमारी नज़रे आप पर थी तो आपने अपनी नज़रों को छुपा लिया ,
जब अब हमने अपनी नीघाओ को फेर लिया है तो आपकी ये नज़र हमसे दूर जाति क्यों नहीं,
अखीर ऐसा क्या चाहते है आप जो यूं निघाओ से निगाहे मिला कर फिर फेर लिया करते है ,
आखिर ऐसा क्या देख लेते है आप जो यूं नज़रों से नज़रे चुरा लेते है,
आखिर ऐसा क्या है जो निगाहों और दिल में है मगर जुबां पर आते आते मंज़िल भूल जाता है,
आखिर ऐसा क्या,
बता आखिर ऐसा क्या है?
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...