मेरी प्रसन्नता हेतु प्रिए तुम्हे अपना तन जलाने की आवश्यकता नहीं तुम्हारा स्पंदन ही प्रयाप्त है,
मेरे चितरण हेतु तुम्हे असहनीय कष्ट उठाने की आवश्यकता नहीं तुम्हारा मधु हास्य प्रयाप्त है,
मेरे हृदयहरण के लिए तुम्हे अग्निखंडो पर पग धरने की महत्ता नहीं तुम्हारे जवलंत नयन प्रयाप्त है,
मेरे लिए तुम्हे स्वयं का अस्तिव बदलने की महत्ता नहीं मेरे लिए तुम्हारा सरल स्वभाव ही प्रयाप्त है,
मेरे जीवन में तुम्हारी उपस्थिति ही प्रयाप्त है,
तुम्हारा होना ही प्रयाप्त है।
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सिला-ए-दिलगि
कवितालोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...