फन्हा

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जिन्हें प्यार माना उन्होंने ही छोड़ दिया,
जिन्हें प्यार माना उन्होंने ही तन्हा कर दिया,

जिन्हें रूह का आफताब माना उन्होंने ही ज़िंदगी में अंधेरा कर दिया ,

जिन पर सर्वस्व न्योछार दिया उन्होंने ने ही सीने में मानो खंजर सा दाग दिया,

जिन के होने से जीवन को एक हसीन ख़वाब माना उन्होंने ही सारे ख़्वाबों को कांच समझ तोड़ दिया,

जिनकी आंखों के अंगारों से मैंने कई शाम शमा जलाई उन्होंने उन ही अंगारों से हमे खाख कर दिया,

जिन पर सौ खुदाओं से ज्यादा यकीन था उन्होंने  ही विश्वास का विष चखा दिया,

उन्होंने ही हमे फन्हा कर दिया ,
उन्होंने ही हमे तन्हा कर दिया।

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