चल मैं

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चल मैं आज सुबह को उगती उस पहली सी किरण को थाम लूं,

चल मैं आज निशा खिलते चंद्र की चंद्रिमा को हृदयधार लूं,

चल आज मैं अगन बन अपने मन की प्रीत तपन में तेरे जिया की शैत्य को भर लूं,

चल आज मैं स्वयं को छोर तुझ को हीया ले खुद को त्यज लूं,

चल आज मैं अपने आप में आप को खो हर को हर से हर लूं,

चल आज मैं तुझ में तुझ से तुझ को ही हर तुझ में ही बस लूं,

चल आज मैं प्रेमपिपासा से पिपासित मीरा सी जोगन सा जोग-जोग लूं,

चल मैं आज से कल तक चिर से चिरांतर तक युग से युगांतर तक मैं से हम बन लूं,

चल मैं सर्वस्व त्यज लूं
चल मैं आज से मैं न रहूं।

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