अंतर क्या रह जायेगा मुझ में और उन अभद्राओं में जो मैं उन संग उन रंग रंग जाऊं तो,
अंतर क्या रह जायेगा उनके मैल भरे कलुषित मन में जो मैं उनका मैल स्वयं के हृदय धर लुंगी तो,
अंतर क्या रह जायेगा उनके बालहट भरे मस्तिष्क में जो मैं अपनी बुद्धि के द्वार भी बंद कर लूंगी तो,
अंतर क्या रह जायेगा उनके इर्षापूर्ण दृष्टि में जो मैं अपनी दृष्टि भी इराशाग्नि से मालिन कर लूंगी तो,
अंतर क्या रह जायेगा कुलघाती रावण में जो सुशीला सीता का आचरण उसे देख बदल जाए तो,
अंतर क्या रह जायेगा कहिए आर्यसुत अंतर क्या रह जायेगा।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...