तुम मोहब्बत

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तुम मोहब्बत थे तो ही अच्छे थे इश्क़ में तो बस इंतज़ार होता है,

तुम दिल में थे तो सुकून थे रूह में उतारा तो बस हर पल दर्द का इज़हार होता है,

तुम दुआ में थे तो इबादत थे हकीकत-ए-कामिल हुए तो गिले-शिक्वो का मन में पहाड़ सा खड़ा होता है,

तुम किस्मत से पोशीदा थे तो नसीब की रहमत थे लकीरों से बेपर्दा हुए तो नसीब का आज़ब हो ऐसा दिल को लगता है,

तुम करीब थे तो अपने थे दुरियों में तो बेगानेपन का एहसास होता है,

तुम मेरे थे तो दिलकश थे पराए हुए तो मन में काश की जलन का एहसास होता है,

तुम मोहब्बत थे तो ही अच्छे थे इश्क़ में तो बस इंतज़ार होता है,

तुम जब तुम थे तो ही अच्छे थे अब तो बस ठंडी अहो का आलम होता है।

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