आप प्यास बनकर कहते हो पिपासित ना हो,
आप आस बनकर कहते है आश्रित ना हो,आप हृदय का राग बनकर कहते है राग का वंदन ना हो,
आप मेरी प्रीत बनकर कहते हैं प्रीत मद ना हो,कसे मैं इन नयनों में स्वयं को न खो दू किसी प्रेम में विस्मृत रागिनी सी कसे ना हो,
कहिए कसे ना हो,
की मदहोश कसे ना हो।
आप पढ़ रहे हैं
सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...