मदहोश

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आप प्यास बनकर कहते हो पिपासित ना हो,
आप आस बनकर कहते है आश्रित ना हो,

आप हृदय का राग बनकर कहते है राग का वंदन ना हो,
आप मेरी प्रीत बनकर कहते हैं प्रीत मद ना हो,

कसे मैं इन नयनों में स्वयं को न खो दू किसी प्रेम में विस्मृत रागिनी सी कसे ना हो,

कहिए कसे ना हो,
की मदहोश कसे ना हो।

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