जब तक ज़िंदगी का कारवां है और रूह का मुसाफिर साथ है तब तक ये सिसिला- ए - आशिक़ी क़ायम रखेंगे ,
फिर इसी जहाँ मे चेहरा बदल शख़्सियत-ए-नाम बदल वापस आएंगे और ये कारवां चलता रहेगा,
नहीं तो फिर किसी अनजान मुल्क़ में गेरो की सी ज़मीन पर एक घोंसला बना मिल जाऊंगी बेगानो की शकल में अपनापन लिए अपने अधूरे अल्फाज़ो को लबो पर लिए इस सिलसिले को मुक़मल करने ,
इस सिलसिले को क़ायम रखने,
इन अल्फाज़ो को ज़बान - ए - कलम देने।

आप पढ़ रहे हैं
सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...