क्या हुआ होगा और क्या होगा के बीच की कश्मोकश है मानो ये ज़िंदगी,
क्यों हुआ होगा और क्यों होगा के बीच की घबराहट है मानो ये ज़िंदगी,
कैसे हुआ होगा और कैसे होगा के बीच की सांसें है मानो ये ज़िंदगी,
किसलिए हुआ होगा और किसलिए होगा के बीच में चलती है मानो ये ज़िंदगी,
एक जैसे से सवालों के अलग-अलग जवाब है मानो ये ज़िंदगी,
कैसे?क्या?क्यों?किसलिए? में झूलता एक मिराज है ये ज़िंदगी।
आप पढ़ रहे हैं
सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...