वो प्यार ही क्या जिसमे आशिक़ की तड़प ना हो ,
वो इज़हार ही क्या जिसमे यार के ना का खौफ ना हो,वो इश्क़ ही क्या जो दर-दर की दुआओं का सिला ना हो,
वो प्यार ही क्या जिसमे यार का इंतजार ना हो,
वो मोहोब्बत ही क्या जिसमे क़ज़ा-ए-जिस्म ना हो,वो जुनून ही क्या जिसमे देरी का आलम न हो,
वो प्यार ही क्या जिसमे आशिक़ की तड़प ना हो,वो प्यार ही क्या जिसमे रोज़-ए-अखरियात तक का इंतजार ना हो।
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सिला-ए-दिलगि
Poetryलोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैने जो देखा उसका आंखों देखा सियाहीदा अंजाम सुनो, ये इश्कनाशी दिलगि का बेवफाई भरा अंजाम सुनो। so, namaste and hello I know I should translate t...